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नदियाँ जोड़ें, देश बचाएं।
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आपको शायद याद होगा कि-"केंद्र की पूर्ववर्ती सरकार ने देश भर की सभी नदियों को जोड़ने का अरबो रुपयों का एक मास्टर प्लान बनाया था।" और शायद ये भी एक तथ्य आपको मालूम होगा कि-"मौजूदा केंद्र सरकार ने उस प्रस्ताव को राजनितिक कारणों से ठण्डे बस्ते में डाला हुआ हैं।"
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देश भर में सिंचाई के लिए और पीने के लिए (पेयजल) पानी की जबरदस्त किल्लत हैं, लेकिन ये किल्लत विशेष रूप से समूचे उत्तर भारत में ही हैं। दक्षिण भारत में अलग नदियाँ हैं और पूर्वी राज्यों में पानी की कोई ख़ास किल्लत नहीं हैं। इसी किल्लत, इसी पानी की कमी को दूर करने के लिए पूर्ववर्ती केंद्र सरकार ने देश की सभी नदियों को जोड़ने का अरबो रुपयों का मास्टर प्लान बनाया था। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य हैं कि-"मौजूदा सरकार ने इस अहम् जलीय मुद्दे को ठण्डे बस्ते में डाला हुआ हैं।"
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उत्तर भारत में पानी का मुख्य और एकमात्र स्त्रोत पहाडो और हिमालय से आने वाला जल ही हैं। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में तो पानी पहाडो और हिमालय से आ जाता हैं। कई नदियाँ तो चीन से भी इन दोनों राज्यों में प्रवेश करती हैं। लेकिन राज़स्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजधानी दिल्ली, मध्यप्रदेश, आदि उत्तरी राज्यों में पानी हिमाचल और जम्मू-कश्मीर होकर ही आता हैं। लेकिन, सभी राज्यों में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत राजस्थान में हैं। सब राज्यों से बड़ा और सब राज्यों से सबसे ज्यादा सूखा राज्य राज़स्थान ही हैं। सबसे ज्यादा सूखाग्रस्त और अकालग्रस्त और पानी का सबसे ज्यादा जरूरतमंद राज्य राज़स्थान हैं।
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यहाँ पानी सीधे नहीं आता हैं। राजधानी दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, और हरियाणा जैसे राज्य सीधे हिमाचल प्रदेश से जुड़े हुए हैं। लेकिन राजस्थान का पानी हिमाचल प्रदेश से वाया पंजाब और हरियाणा होकर आता हैं, इसलिए राज़स्थान को पानी कम मिल रहा हैं क्योंकि पंजाब और हरियाणा राज्य के हिस्से का पानी पी गए हैं यानी दे नहीं रहे हैं। पंजाब को कुछ कहो तो वो ये मुद्दा ये कहकर हरियाणा के ऊपर ड़ाल देता हैं कि-"हरियाणा पंजाब को पूरा पानी नहीं दे रहा हैं।" और जब हरियाणा को कुछ कहे तो वो गेंद केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश के पाले में ड़ाल देता हैं। यानी राज़स्थान फिलहाल सूखा और अकाल के साथ-साथ पानी की किल्लत की दोहरी मार झेल रहा हैं।
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आप सभी पाठको की जानकारी के लिए बता दूं कि-"राजस्थान सरकार ने इस सम्बन्ध में काफी सालो से सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की कई समितियों में विभिन्न याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं। कोर्ट का तो आप जानते ही कितनी जल्दी फैसला आता हैं और केंद्र सरकार किसी भी राज्य पंजाब और राजस्थान के पक्ष में निर्णय नहीं ले पा रही हैं।"
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सूखा और अकाल तो दूर कई राज्यों में कमोबेश हर साल बाढ़ भी आती हैं। बिहार तो हर साल बाढ़ की चपेट में आ ही जाता हैं। कभी कोई नदी उफन उठती हैं तो कभी कोई, यानी हर साल किसी ना किसी नदी में बाढ़ आ ही जाती हैं। जान का नुकसान चाहे ना होता हो लेकिन संपत्ति और माल का नुकसान तो होता ही हैं। लाखो लोग बेघरबार हो जाते हैं, उनके रहने-सहने, ठहराव, पुर्नवास के लिए सरकार के करोडो रूपये स्वाहा हो जाते हैं। साथ ही जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता हैं। वरना जितने समय बाढ़ के कारण ये लोग कोई कामधंधा नहीं कर पाते अगर ये समय बिना बाढ़ के हो तो लाखो-करोडो रूपये सरकार के खाते में टैक्स व अन्य मदों (राहत के कार्यो में जाया ना हो) में आ सकते हैं।
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इसी बाढ़ और अकाल-सूखे की समस्या के समाधान के लिए सभी नदियों को जोड़ा जाना था, ताकि जहां पानी ज्यादा हो वहाँ पानी का स्तर कम किया जा सके और जहां पानी की गंभीर कमी हो वहाँ इसकी पूर्ति की जा सके। लेकिन राजनीति कहलो या इच्छा-शक्ति की कमी, राज़स्थान सूखे, अकाल, और प्यास से तड़प रहा हैं और बिहार बाढ़ में डूब कर मर रहा हैं। सभी उत्तरी राज्यों को पानी सीधे पडोसी राज्य से मिल रहा हैं। लेकिन राज़स्थान को पानी दो-तीन राज्यों से होकर (गुजर कर) मिल रहा हैं, राजस्थान देश का सबसे ज्यादा सूखा और अकालग्रस्त राज्य हैं। उसे पानी की तत्काल आवश्यकता हैं। लेकिन पंजाब राज़स्थान का पानी रोके बैठा हैं, पंजाब झूठ बोलकर, बेबुनियाद बात (हरियाणा पर आरोप लगाना) कर रहा हैं। राज्य सरकार ने कई सालो से, काफी सालो से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर कर रखी हैं। लेकिन न्याय नहीं मिला। कब मिलेगा, कैसे मिलेगा कुछ कह नहीं सकते।
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इसलिए अब वक़्त आ गया हैं = देश भर की सभी नदियों को तत्काल जोड़ा जाए और पानी पर राज्यों की बजाय केंद्र का हक़-अधिकार दिया जाए। राज्यों की आपसी लड़ाई, मतभेदों को समाप्त करने का यही एक कारगर और सफल उपाय हैं कि-"सभी नदियों को जोड़ दिया जाए और पानी पर राज्यों का हक़/अधिकार समाप्त करते हुए सभी ताकत केंद्र सरकार को दे दी जाए।"
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एक अति-महत्तवपूर्ण सूचना = सभी पाठको को बता देना चाहता हूँ कि-"मौजूदा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाया (या तैयारी) था, लेकिन तत्कालीन सत्ताधारी दल और मौजूदा विपक्षियों ने ये कहकर उपहास / मज़ाक उड़ाया कि-"तुम कौनसा नया काम कर रहे हो???, तुम कर क्या रहे हो??, हमारा ही कार्य तुम कर रहे हो, ताकि जनता तुम्हे इस कार्य का श्रेय दे।" हम आम जनता के द्वार पर जायेंगे और उन्हें बता देंगे कि-"तुमने कुछ नहीं किया हैं, ये प्रोजेक्ट तो हमारा बनाया हुआ, हमारा फाइनल किया हुआ हैं। इस कार्य का श्रेय हमारा हैं और हम ही लेंगे।" बस उसके बाद मौजूदा सरकार ने इस अहम् मुद्दे को ठण्डे बस्ते में ड़ाल दिया, जो दुर्भाग्य से अब तक ठण्डे बस्ते में ही पडा हैं।"
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
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RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
चन्द्र कुमार जी,
ReplyDeleteकाफी सामईक विषय चुना है चर्चा के लिए.
लिकिन इस विषय पर चर्चा करना ही व्यर्थ है क्योंकि इस में कोई अन्य राय हो ही नहीं सकती चर्चा सिर्फ सिर्फ इस पर होनी चाहिए की इस कैसे कार्यान्वित किया जाय.
bahut hi interesting...
ReplyDeletemere blog par b sawagat hai
http://asilentsilence.blogspot.com/
सबसे ज्यादा सूखाग्रस्त और अकालग्रस्त और पानी का सबसे ज्यादा जरूरतमंद राज्य राज़स्थान हैं।
ReplyDeleteबेहद रोचक जानकारी है
rachna ji ne bilkul sahi farmaya hai
ReplyDeleteचर्चा सिर्फ सिर्फ इस पर होनी चाहिए की इस कैसे कार्यान्वित किया जाय.
paani ki sabse jayada jaroorat to rajayasthan jaisi jagah par hai..
ReplyDeleteacha laga apki post pad kar...
thank you
sateek....sadhuwaad...
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