कहाँ हैं क़ानून नाम की चिड़िया???????
अभी कल देर रात शहर में हुई एक वारदात से सनसनी फ़ैल गई। शहर के प्रमुख बुद्धि-जीवियों में से एक, शहर के सबसे बड़े अखबार के कार्यकारी सम्पादक, और मेरे ब्लॉग-गुरु श्री कीर्ति राणा जी पर 3-4 लोगो ने अकारण हमला कर दिया। श्री राणा जी किसी विवाह-समारोह से लौट रहे थे, की रास्ते में यह घटना हो गई। जब शहर का विशिष्ट आदमी ही सुरक्षित नही हैं, तो आम जनता का तो पूछो ही मत। कहाँ हैं क़ानून नाम कि चिडिया????
इस घटना की जिसे ख़बर मिली वह हक्का-बक्का रह गया। यह हमला किसी आम या राह-चलते व्यक्ति पर नही हुआ था, यह हमला शहर की जानी-मानी हस्ति पर हुआ था। मुझे भी इस घटना की सूचना अगले दिन (आज) अखबारों से मिली। जैसे ही मैंने अपने ब्लॉग-गुरु पर हमले की ख़बर पढ़ी, मैं भी सकते में आ गया। मैंने तुंरत उन्हें (राणा जी को) फ़ोन किया। किसी कारण से फ़ोन अटेंड ना हो पाने पर मैंने एस एम एस भेज कर अपना आक्रोश जताया।
प्रिय पाठको, मैं जानता हूँ कि-"आप क्या सोच रहे हैं??" आप यही सोच रहे हैं ना, कि-"मैंने इससे पहले शहर में बढ़ते अपराधो पर क्यों नही लिखा??" आपका यह सोचना बिल्कुल जायज़ हैं। मुझे नित्य-रोज़ शहर में बढ़ते सभी तरह के, हर तरह के अपराधो की जानकारी मिलती रहती थी। लेकिन मैंने इस सम्बन्ध में, कभी भी, कुछ भी नही लिखा। हाँ, एक बार 26.जुलाई.09 को जरूर लिखा था, जब शहर में एक बड़ी और सनसनीखेज चोरी हो गई थी।
किसी ने सत्य ही कहा हैं कि-"दूसरो के दुख-दर्द, तकलीफ-पीडा का अहसास तभी होता हैं, जब हम ख़ुद या हमारा कोई प्रिय व्यक्ति इस दौर से गुज़रता हैं।" मेरे साथ भी कुछ-कुछ ऐसा ही हुआ हैं। मैं सब कुछ जानते-बूझते हुए भी अनजान बना रहा, लेकिन जब मेरे अपने निकटतम व्यक्ति के साथ कोई बुरी घटना होने की ख़बर मिली, तो मेरी आँखें खुल गई।
मुझे अब पता चल गया हैं कि-"ना चाहते हुए भी, जाने-अनजाने में मैं कितना मतलबी-स्वार्थी हो गया था??" मैं हालांकि भावुक, संवेदनशील, और नरम दिल वाला जागरूक युवक हूँ। लेकिन पता नही कैसे अनजाने में स्वार्थी हो गया?, जिसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ।
मुझे अब सबक मिल गया हैं। अब मैं आप सब पाठकगणों से वादा करता हूँ कि-"मैं ज्यादा से ज्यादा जागरूक-संवेदनशील रहूंगा और स्वार्थ-मतलबीपन से ज्यादा से ज्यादा दूर रहूंगा।"
एक बार पुन: माफ़ी मांगते हुए..........
धन्यवाद।
FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
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Saturday, October 31, 2009
Thursday, October 22, 2009
चेतन्या.......
यह कोई साधारण नाम नही हैं। यह उस नन्ही परी का नाम हैं, जिसका आगमन हमारे घर में 05.अक्टूबर.2009 को रात करीब पौने ग्यारह बजे हुआ था। काफ़ी लंबे समय से (मेरी शादी के बाद से ही) इस खूबसूरत, अनमोल पल का सभी को बेहद बेसब्री से इंतज़ार था।
लड़का हो या लड़की, मुझे और मेरे घरवालो को इस बात से कोई सरोकार नही था। मैं और मेरे सभी घरवाले/परिजन लड़की हो या लड़का, दोनों को ही ईश्वर का अनुपम उपहार मानते हैं। यही कारण था कि-"मेरे घरवालो ने नन्ही परी का पूरा जोशो-खारोशो से स्वागत किया था। 15.अक्टूबर.2009 को नन्ही परी का नामकरण था। लड़की होने के बावजूद और कुछ लोगो की दकियानूसी बातों के बावजूद, नामकरण संस्कार हमने काफ़ी हर्षोउल्लास के साथ संपन्न किया।"
चेतन्या.....हमारे घर की लक्ष्मी हैं, जो ऐन दिवाली के मौके पर हमारे घर आई हैं। हम सब लोग बहुत खुश हैं, हम सबकी खुशी की कोई सीमा नही रही हैं। काफ़ी लंबे समय के इंतज़ार के बाद मैं पिता बना हूँ। यह मेरे लिए अति-सौभाग्य की बात हैं, जो मेरी पहली संतान लक्ष्मी के रूप में हुई हैं। यह वो हसीं पल हैं, जिसका इंतज़ार हम सभी को बेहद बेसब्री से था।
पुरे घर में खुशियों की बहार आ गई हैं। मैं बता नही सकता कि-"मैं कितना खुश हूँ, मुझे अपनी इस अपार खुशी को व्यक्त करने को शब्द ही नही मिल रहे हैं। सारे घर-परिवार में हर्ष-उल्लास का माहौल हैं।" सभी को खेलने के लिए एक छोटी-सी नन्ही परी (चेतन्या) मिल गई हैं। मैं एक नन्ही परी का पिता बन कर बहुत खुश हूँ।.........
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L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
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यह कोई साधारण नाम नही हैं। यह उस नन्ही परी का नाम हैं, जिसका आगमन हमारे घर में 05.अक्टूबर.2009 को रात करीब पौने ग्यारह बजे हुआ था। काफ़ी लंबे समय से (मेरी शादी के बाद से ही) इस खूबसूरत, अनमोल पल का सभी को बेहद बेसब्री से इंतज़ार था।
लड़का हो या लड़की, मुझे और मेरे घरवालो को इस बात से कोई सरोकार नही था। मैं और मेरे सभी घरवाले/परिजन लड़की हो या लड़का, दोनों को ही ईश्वर का अनुपम उपहार मानते हैं। यही कारण था कि-"मेरे घरवालो ने नन्ही परी का पूरा जोशो-खारोशो से स्वागत किया था। 15.अक्टूबर.2009 को नन्ही परी का नामकरण था। लड़की होने के बावजूद और कुछ लोगो की दकियानूसी बातों के बावजूद, नामकरण संस्कार हमने काफ़ी हर्षोउल्लास के साथ संपन्न किया।"
चेतन्या.....हमारे घर की लक्ष्मी हैं, जो ऐन दिवाली के मौके पर हमारे घर आई हैं। हम सब लोग बहुत खुश हैं, हम सबकी खुशी की कोई सीमा नही रही हैं। काफ़ी लंबे समय के इंतज़ार के बाद मैं पिता बना हूँ। यह मेरे लिए अति-सौभाग्य की बात हैं, जो मेरी पहली संतान लक्ष्मी के रूप में हुई हैं। यह वो हसीं पल हैं, जिसका इंतज़ार हम सभी को बेहद बेसब्री से था।
पुरे घर में खुशियों की बहार आ गई हैं। मैं बता नही सकता कि-"मैं कितना खुश हूँ, मुझे अपनी इस अपार खुशी को व्यक्त करने को शब्द ही नही मिल रहे हैं। सारे घर-परिवार में हर्ष-उल्लास का माहौल हैं।" सभी को खेलने के लिए एक छोटी-सी नन्ही परी (चेतन्या) मिल गई हैं। मैं एक नन्ही परी का पिता बन कर बहुत खुश हूँ।.........
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Thursday, October 08, 2009
मेरे घर आई एक नन्ही परी।
जी हाँ, 05.अक्टूबर.2009 सोमवार को मेरे घर एक नन्ही परी का आगमन हुआ हैं। मेरी पत्नी ने सामान्य डिलिवरी से लक्ष्मी को जन्म दिया हैं। जच्चा-बच्चा बिल्कुल स्वस्थ हैं। काफ़ी लंबे समय के इंतज़ार के बाद मैं पिता बना हूँ। यह मेरे अति-सौभाग्य हैं जो मेरी पहली संतान लक्ष्मी के रूप में हुई हैं।
मुझे इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार था। ऐन दीपावली के मौके/शुभ अवसर पर मेरे घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ हैं। मैं बता नही सकता कि-मैं कितना खुश हूँ, मुझे अपनी इस अपार खुशी को व्यक्त करने को शब्द ही नही मिल रहे हैं।
सारे घर-परिवार में हर्ष-उल्लास का माहौल हैं। यह वो हसीं पल हैं, जिसका इंतज़ार हम सभी को बेहद बेसब्री से था।
पुरे घर में खुशियों कि बहार आ गई हैं। सभी को खेलने के लिए एक छोटी सी गुडिया मिल गई हैं। मैं एक नन्ही परी का पिता बन कर बहुत खुश हूँ।.........
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मुझे इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार था। ऐन दीपावली के मौके/शुभ अवसर पर मेरे घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ हैं। मैं बता नही सकता कि-मैं कितना खुश हूँ, मुझे अपनी इस अपार खुशी को व्यक्त करने को शब्द ही नही मिल रहे हैं।
सारे घर-परिवार में हर्ष-उल्लास का माहौल हैं। यह वो हसीं पल हैं, जिसका इंतज़ार हम सभी को बेहद बेसब्री से था।
पुरे घर में खुशियों कि बहार आ गई हैं। सभी को खेलने के लिए एक छोटी सी गुडिया मिल गई हैं। मैं एक नन्ही परी का पिता बन कर बहुत खुश हूँ।.........
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