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प्रोत्साहित किया क्या??
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ना जाने क्यों लोग किसी को प्रोत्साहित करने को अपनी बेईज्ज़ती समझते हैं??? पता नहीं लोगो की क्या फितरत हैं कि-"प्रोत्साहित करने में तो सबसे पीछे रहते हैं, लेकिन हतोत्साहित करने को सबसे आगे रहते हैं??? मानो हतोत्साहित यूनियन के प्रधान हो।" मैं हमेशा अच्छे कार्य करने वालो को, नेकी या ईमानदारी या सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले को यथासंभव प्रोत्साहित करता हूँ। अगर किसी कारणवश, या मजबूरीवश किसी को प्रोत्साहित नहीं भी कर पाता हूँ तो कम से कम हतोत्साहित तो कदापि नहीं करता।
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कुछ उदाहरण =
1. जब कोई कर/टैक्स की चोरी नहीं करता हैं, तो आप उसे प्रोत्साहित करने की बजाय हतोत्साहित करते हैं। इतना ही नहीं आप उसे करचोरी करने के कई उपाय भी बता डालते हैं।
2. जब कोई सावधानीपूर्वक, नियमपूर्वक, निर्धारित रफ़्तार से वाहन (दुपहिया, तिपहिया, या चौपहिया) चलाता हैं, तो आप उसे प्रोत्साहित करने की बजाय अनगिनत गालियाँ निकालते हैं। जैसे--कितना धीरे चला रहा हैं, चलाना ही नहीं आता, सड़क जाम करके रख दी, गाडी थोड़ी तेज़ चला, कछुआ चाल से चल रहा हैं, आदि-आदि।
3. जब कोई सड़क के बीचो-बीच घायल-चोटिल पडा हो और कोई भलामानस उसे संभाले तो आप मदद करने की बजाय उसे हतोत्साहित करते हैं। ये कहकर--छोड़ ना क्यों पंगे में पड़ रहा हैं??, क्यों पुलिस के लफड़े में आने पर तुला हैं??, ये रोज़-रोज़ का काम हैं तू चल एम्बुलेंस आ जायेगी, आदि-आदि।
4. जब कोई बिजली की चोरी नहीं करता हैं तो आप उसे प्रोत्साहित करने की बजाय हतोत्साहित करते हैं। ये कहकर--बिजली महेंगी हो गयी हैं क्यों पूरा बिल भरते हो??, हमें देखो हम ऐश कर रहे हैं, या डरो मत बिजली निगम के अधिकारियों से मेरी सेटिंग हैं कोई कुछ नहीं बोलेगा, या कुण्डी मैं ला देता हूँ या लगा देता हूँ, आदि-आदि।
5. जब कोई पानी की वेस्टेज करता हैं तो भी आप उसको पानी की कीमत बताने की बजाय उसे प्रोत्साहित करते हैं। जैसे-वाह गाडी चमक गयी हैं, आप पुरानी गाडी को भी नयी बताने लगेंगे, बढ़िया हैं सड़क की मिटटी दूकान में नहीं घुसेंगी, या पानी की कोई कमी नहीं हैं करो जैसे मर्जी इस्तेमाल, आदि-आदि।
यानी प्रोत्साहन भी नकारात्मक बात को। प्रोत्साहन सकारात्मकता को ही देना चाहिए। याद रखिये--अगर आप नकारात्मकता को प्रोत्साहित कर रहे हैं तो आप सीधे-सीधे अच्छाई को हतोत्साहित कर रहे हैं।
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याद रखिये--बूँद-बूँद से ही घड़ा भरता हैं। उसी तरह एक-एक व्यक्ति के सम्मिलित प्रयास से ही मकसद-लक्ष्य हल हो सकते हैं। अगर आप किसी को उसकी सच्चाई, ईमानदारी, नेकी या किसी अन्य अच्छाई-भलाई के लिए प्रोत्साहित नहीं कर सकते तो कम से कम उन्हें हतोत्साहित करके उनका हौसला तो मत डिगाइए।
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तो प्रोत्साहित किया क्या??
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धन्यवाद।
FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
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SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
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