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जाति आधारित जन गणना क्यों???
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इस बार कि जन गणना में आज़ादी के बाद पहली बार जातियों कि गणना भी की जा रही हैं। मैं इस तरह की कवायदों के सख्त खिलाफ हूँ, इस मुद्दे पर मेरा विरोध खुलकर बेशक ना हो लेकिन अंतर्मन से जरूर हैं। आखिर किसलिए की जा रही हैं इतनी कसरत??
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इस जन गणना से सबसे बड़ा ख़तरा जातीय दुश्मनी और नफरत बढ़ने का हैं। भारत को हम सभी जात-पात से मुक्त देखना चाहते हैं लेकिन दुर्भाग्य देखिये -- आज जनगणना में जातियों की गणना को भी शामिल करते हुए अभी तक की सारी कवायदों पर पानी फेरा जा रहा हैं। सारी मेहनत को नष्ट किया जा रहा हैं, जो अभी तक देश में जात-पात के भेद और लड़ाइयों को मिटाने में की गयी हैं।
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राजनितिज्ञो के निहित स्वार्थ, लगातार बढ़ते आरक्षण, और इन सबसे पैदा हुई समस्याओं से वैसे ही जातिगत लडाइयां-टकराव के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर जातिगत जनसंख्या के सटीक आंकड़े सामने आ गए तो स्थिति विस्फोटक हो जायेगी। सामाज का ताना-बाना बिगड़ने का बड़ा ख़तरा हैं। जाति के आधार पर जनगणना देश के लिए आत्मघाती कदम साबित होगा। वोट बैंक की राजनीति वैसे ही देश-प्रदेश की राजनीति पर बुरी तरह हावी हैं, ऐसे में जातिगत वोट बैंक के सटीक-ठीक आंकड़े आने का मतलब हैं, राजनितिक दलों द्वारा इन्हें अपनी और खींचने के नापाक इरादे और हथकंडे।
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मुझे जातिगत जनगणना का कोई औचित्य ही नहीं नज़र आ रहा हैं सिवाय इसके कि-"जातियों के आंकड़े मालूम होने के बाद जाति-विशेष के काम ज्यादा प्राथमिकता के साथ होंगे। और इन्ही जातियों के लिए ही लोक-लुभावन योजनायें चलाई जायेंगी, बाकी जातियों को तो हाशिये पर ड़ाल दिया जाएगा।" पहले (आज़ादी के बाद -- संविधान निर्माण के वक़्त) हमेशा सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए ही आरक्षण जरूरी माना गया था, क्योंकि उस वक़्त उसके कई ठोस-ऐतिहासिक-और सामाजिक कारण थे।
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लेकिन, अब हर जाति आरक्षण की मांग करने लगी हैं, हर जाति बिना जरुरत-बिना वजह अपने लिए आरक्षण लेने के लिए जायज़-नाजायज़, सही-गलत, अहिंसक-हिंसक, हर संभव तरीका अपना रही हैं। जोकि सरासर गलत, अमान्य और अस्वीकार्य हैं। जिसे आरक्षण मिल जाता हैं, वो ना सिर्फ आरक्षण का दुरूपयोग करता हैं वरण अपने आपको अन्य जातियों से बड़ा, महान समझने लगता हैं। यही से जातीय विभेद, जातीय वैमनश्य, और जातीय दुश्मनी का जन्म होता हैं। दो भिन्न-भिन्न जातियों के बीच लड़ाई-तनाव-और टकराव का मुख्य कारण आरक्षण ही हैं।
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मैं इस लेख के माध्यम से किसी नेता को, किसी राजनेता को, किसी राजनितिक दल को या किसी अन्य व्यक्ति-दल को कुछ भी नहीं कह रहा हूँ, और नाही मेरा ऐसा कोई मकसद हैं। मैं तो आम जनता से, सच्चे भारतीयों से सिर्फ एक अपील/प्रार्थना करना चाहता हूँ कि--
"अपनी जाति सिर्फ और सिर्फ भारतीय और अपनी भाषा भी भारतीय (हिन्दी या आपकी मातृभाषा (अंग्रेजी या विदेशी भाषा नहीं) ही बताये।)"
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
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Sunday, May 16, 2010
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