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खाप को मारो थाप।
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आये दिन खाप / जातीय पंचायतो के क्रूर और उलटे-सीधे फैसलों को सुन-सुन कर मेरे कान पक गए हैं। ऐसे नरकगामी, आदिम जमाने के फैसले सिर्फ और सिर्फ खाप पंचायते ही करती हैं। कथित रूप से अपनी इज्ज़त, मान-सम्मान को बचाने के नाम पर किसी कि भी कि जान लेने का हुक्म सुना देना, तो मानो इनके बाएं हाथ का खेल हो।
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हालांकि इसी मुद्दे को लेकर मैंने "ऑनर किलिंग" शीर्षक से एक लेख पहले (पिछले साल आठ नवम्बर को) भी लिखा था। अब फिर मुझे खाप पंचायतो के लगातार आ रहे दुस्साहसी फैसलों से इसी मुद्दे पर पुन: लिखना पड़ रहा हैं। हाल ही में हरियाणा की खाप (जातीय) पंचायतो के एक क्रूर फैसले, जिसमे प्रेमी-प्रेमिका के एक ही जाति में होने के कारण उनकी ह्त्या कर डालने का फरमान सुना दिया गया था। अक्सर कथित रूप से अपनी इज्ज़त को बचाने या अपनी झूठी आन-बान-शान को बरकरार रखने के नाम पर ऐसे कलयुगी, अमानवीय, और अमानुषिक फैसले सुना दिए जाते हैं।
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ये खाप / जातीय पंचायते मुख्यत: हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, और बिहार में कार्यरत हैं। ये बहुत ही दुःख कि बात हैं कि-"पंच-सरपंच को परमेश्वर का दर्ज़ा दिया जाता हैं, इन कथित पंच परमेश्वरो के फैसलों को सर-आँखों पर लिया जाता हैं। और जब यही पंच (परमेश्वर) ऐसे क्रूर फैसले लेते हैं तो दुःख होता हैं।
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*(मेरा मन खट्टा हो चुका हैं, इसलिए मैं आज इस बारे में ज्यादा विस्तार से नहीं लिख सकूंगा। मैं इसके लिए आप सभी ब्लॉग पाठको से माफ़ी चाहता हूँ। कृपया इसी ज्वलंत-मुद्दे से मिलते-जुलते एक और पोस्ट को पढने का कष्ट करे। आठ नवम्बर, 2009 को लिखे गए "ऑनर किलिंग" नामक पोस्ट को अवश्य पढ़े।)*
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
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खाप का कानून को अपने हाथ में लेना सरासर गलत है। इस तरह के अमानवीय कुकृत्यों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ।
ReplyDeleteलेकिन एक ही गोत्र में शादी करना , सामाजिक नियमों का उल्लंघन है । सामाजिक नियम समाज को सही दिशा प्रदान करने के लिए बनाये जाते हैं। इसे भी नहीं स्वीकारा जा सकता ।
Ek meri taraf se bhi!
ReplyDeleteशुक्रिया अदालत, आप पर लोगों का भरोसा है और आपने उस भरोसे को कायम रखा है
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