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सिख जिंदाबाद, वाहेगुरु जिंदाबाद।
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जम्मू-कश्मीर में आजकल जो कुछ भी हो रहा हैं, वो घोर निन्दनीये हैं। 1985 के बाद में आतंकवाद ने पाँव फैलाने शुरू किये और कश्मीर के हालात तेज़ी से बदलने लगे। हालात इतनी तेज़ी से बदले, आतंकवादियों का नेटवर्क इतनी तेज़ी से फैला कि सरकार कुछ भी नहीं कर सकी। ना केंद्र सरकार और नाही राज्य सरकार। चाहे जिसकी भी गलती हो, चाहे राज्य सरकार की गलती हो या केंद्र सरकार की, चाहे जवाहर लाल नेहरु या महात्मा गांधी की गलती हो या ना हो। फिलहाल, इतिहास और अन्य बातों को एक तरफ करते हुए केंद्र और राज्य की दोनों सरकारों को संयुक्त रूप से तत्काल कड़ी कार्रवाही करनी चाहिए।
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सोचिये, क्या हासिल हो जाएगा अगर नेहरु या गांधी गलत साबित हो जायेंगे और क्या बिगड़ जाएगा अगर नेहरु या गांधी निर्दोष, बेगुनाह, सही निकल जायेंगे???? राज्य सरकार के गलत साबित होने या केंद्र सरकार के गलत साबित होने से क्या होगा??? कुछ नहीं होगा, उलटे दोनों सरकारे आमने-सामने आ जायेगी या गेंद एक-दुसरे के पाले में डाले जाने की नयी कवायदें शुरू हो जायेगी। सभी पक्षों को विशेषकर आम जनता (सिर्फ कश्मीर की ही नहीं बल्कि पुरे देश की) को इतिहास और पुराने नेताओं-लोगो की गलतियों-भूलो की तरफ ध्यान देने की बजाय मौजूदा समस्याओं के तत्काल समाधान के सम्बन्ध में सोचना चाहिए।
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इन बीतें बीस वर्षों में कश्मीरी पंडितों को करीब-करीब बेदखल कर दिया गया हैं। आज के वक्त में, वर्तमान में कश्मीरी पंडित पूरी तरह से घाटी से पलायन कर चुकें हैं। बमुश्किल, तीस-पैंतीस प्रतिशत ही कश्मीरी पंडित शेष रह गए हैं। आतंकवाद की मार और दोनों (केंद्र व् राज्य) सरकारों की लगातार अनदेखी ने कश्मीरी पंडितों के बुलंद हौसलों को डिगा दिया हैं। दोहरी मार को आखिर कब तक झेलते???, कर गए पलायन। आज नाममात्र के कश्मीरी पंडित ही कश्मीर घाटी में शेष रह गए हैं। उनके केसर के बागानों, कश्मीर की शान दोनों शालीमार और निशात बागो, उनके घरो, दुकानों, खेतों, आदि सभी चीजों पर फिलहाल मुसलमानों का कब्ज़ा हैं। कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद घाटी का सौन्दर्य नष्ट हो गया हैं, अब कश्मीर भारत का स्वर्ग नहीं रहा हैं। ये बात मैं नहीं कह रहा हूँ, इस बात की पुष्टि कश्मीर जाकर, घूमकर लौटे देशी व विदेशी पर्यटकों-सैलानियों से भी की जा सकती हैं।
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कश्मीर से हिन्दू, कश्मीरी पंडितों के पलायन या यूँ कहिये मुसलमानों द्वारा भगाने के बाद अब बारी सिखों की हैं। कश्मीर घाटी को हिन्दू विहीन करने के बाद अब सिख विहीन करने की तैयारी चल रही हैं। पाकिस्तान के समर्थन वाले आतंकवादी और कश्मीर के कट्टरपंथी मुसलमान इस मुहीम में शामिल हैं। उन्हें घाटी पूरी तरह से मुस्लिम बहुल चाहिए। कश्मीर में बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की ही हैं, लेकिन वे कश्मीर घाटी को शत-प्रतिशत मुस्लिम बहुल बनाने में लगे हुए हैं। जहां रहने-बसने, खाने-पीने, कमाने-कामधंधे करने, आदि सभी चीज़ों पर वे (मुसलमान) अपना सार्वभौमिक हक़ समझने लगे हैं। और अन्य कोई धर्म, पंथ, जाति, समुदाय उन्हें कश्मीर में फूटी आँख नहीं सुहा रहा हैं। हिन्दू विहीन करने के बाद अब पूरी कश्मीर घाटी को सिख विहीन करने की साज़िश रची जा रही हैं।
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सिख हिन्दुओं के रक्षक थे, हैं, और रहेंगे। सिख पंथ का प्रादुर्भाव-उदय हिन्दुओं की रक्षा के सद-उद्देश्य से किया गया था। मुसलमान शासको, मुगलों से हिन्दुओं को बचाने के लिए सिख धर्म का जन्म हुआ था। समय-समय पर जब भी हिन्दुओं पर कोई विपत्ति आई हैं, तब तब सिखों ने अपने प्राणों की परवाह भी ना करते हुए हिन्दुओं के जान-माल-इज्ज़त की रक्षा की हैं। मुसलमान इस तथ्य को जानते हैं कि-"जब तक सिख कौम का कश्मीर घाटी में वजूद हैं, तब तक हिन्दुओं को पूरी तरह से बेदखल नहीं किया जा सकता हैं। जितने हिन्दू, कश्मीरी पंडित पलायन कर गए तो कर गए, लेकिन बाकी बचे हिन्दुओं को पलायन करने को मजबूर करने के लिए, सिखों को मार्ग से हटाना होगा।" इसी साज़िश के तहत वे मुसलमान अब सिखों को भी कश्मीर छोड़कर जाने को मजबूर कर रहे हैं। लूटपाट कर, मारपीट कर, डरा धमका कर, माँ-बहन-बेटी-बहुओं की इज्ज़त से खेलकर वे किसी भी तरह इन हिन्दुओं के रक्षको, सिखों को सम्पूर्ण कश्मीर घाटी से बाहर कर देना चाहते हैं। ताकि सिख कौम के साथ-साथ हिन्दुओं को भी कश्मीर से बाहर निकाल सके और सम्पूर्ण कश्मीर घाटी में मुस्लिमो का शासन हो।
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मकसद साफ़ हैं, पाकिस्तान और आतंकियों को इन सभी घटनाक्रमों से लाभ हैं। कश्मीर की आज़ादी के नाम पर हिन्दुस्तान के टुकड़े करने और कश्मीर यानी हिन्दुस्तान के ताज पर कब्ज़ा करना यानी पाकिस्तान बनाना। कई मर्तबा प्रत्यक्ष और परोक्ष युद्धों में मात खा चुका पाकिस्तान इस बार नए तरीके से अपने नापाक इरादों में कामयाब होना चाहता हैं। तभी तो पत्थरबाजों को ट्रक भर-भर कर पत्थर पाकिस्तान से भेजा जा रहा हैं और रैलियों और प्रदर्शनों में पाकिस्तान के झंडे लहराने और पाकिस्तान समर्थित नारे लगाए जाने, आम बात हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि-"चुनाव करवाना कि-"जनता पाकिस्तान में रहना चाहती हैं या हिन्दुस्तान में??", खतरे से खाली नहीं हैं। कश्मीरी जनता भ्रमित हैं, आतंकित हैं, डरी हुई हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों और स्थानीय कश्मीरी कट्टरपंथियों के दबाव-धमकी में वो क्या फैसला सुना दे, कुछ कह नहीं सकते। तभी तो पाकिस्तान बारम्बार कश्मीर में इस सम्बन्ध में चुनाव चाहता हैं। ताकि चुनाव में गड़बड़ी फैला कर वो फैसला (चुनावी नतीजें) बदल दे। और ये संभव नहीं हैं, भला अपने देश के नागरिको से ही ये पूछना कि उन्हें पाकिस्तान रहना हैं या नहीं, निहायत ही बेवकूफी-बेतुका हैं।
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मेरे विचार से कश्मीर समस्या का एकमात्र समाधान यही हैं कि-"राज्य और केंद्र की दोनों सरकारें एकजुट होकर, आपसी मतभेदों को भुला कर, बिना गेंद एक-दुसरे के पाले में डाले, तुरंत इस समस्या से सख्ती से निपटें। सख्ती भूलकर भी आमजन के विरुद्ध नहीं होनी चाहिए, वरना वे और भी भड़क जायेंगे। सख्ती आमजनों की भीड़ में शामिल असामाजिक तत्वों के विरुद्ध होनी चाहिए। सख्ती कट्टरपंथियों के विरुद्ध होनी चाहिए। सख्ती पाकिस्तान के झंडे लहराने और पाकिस्तान समर्थित नारे लगाने वालो के विरुद्ध होनी चाहिए। इतना ही नहीं, अगर दोनों सरकारे एक ना होतो, कश्मीर की सरकार को तत्काल प्रभाव से भंग करते हुए वहाँ राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। देश के नेताओं में इच्छा शक्ति का नितांत अभाव हैं। इसलिए, क्योंकि राष्ट्रपति सेना के तीनो अंगो (जलसेना, थलसेना, और वायुसेना) का उच्चाधिकारी होता हैं इसलिए सीधे सैन्य कार्रवाही का हुक्म दिया जाना चाहिए। जब पाकिस्तान के लिए कोई नियम नहीं हैं तो भारत के लिए ही नियम क्यों???? पुरे कश्मीर को भारत में मिला लेना चाहिए। माना सीधे युद्ध में बहुत जान-माल का नुकसान होगा, लेकिन रोज़-रोज़ के क्लेश-तनाव से तो मुक्ति मिलेंगी।
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सिख कश्मीर में थे, हैं, और भविष्य में भी रहेंगे। सिख जिंदाबाद, वाहेगुरु जिंदाबाद। सिखों ने हमेशा हिन्दुओं की रक्षा की हैं, अब अगर जरुरत पड़ी तो सिखों की रक्षा हिन्दू करेंगे।
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आप अभी भी चुपचाप-शान्ति से बैठे हैं। क्या ये सब जानकर भी अब आपका खून नहीं खौल रहा हैं????
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
सफेद रंग पर ये रंग नहीं जम रहा है. पढ़ने में कठिनाई हो रही है.
ReplyDeletenice article.. thanks for sharing......
ReplyDeleteMeri nayi kavita : Tera saath hi bada pyara hai..(तेरा साथ ही बड़ा प्यारा है ..)
Banned Area News : Esha Deol Files Official Complaint Against RGV For Non-Payment Of Dues
विचारणीय लेख के लिए बधाई
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