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ऐसा तो सिर्फ भारत में ही संभव हैं।
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हाल ही में विभिन्न समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में एक खबर को पढ़ कर बड़ी हैरानी हुई। दरअसल वो खबर ही ऐसी थी, आप भी जानेंगे तो हैरान रह जायेंगे।
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और वो खबर यह थी कि-"केंद्र सरकार जल्द ही एक ऐसा क़ानून लाने जा रही हैं, जिसमे तेल, गैस की पाईपलाइन या वाहन को आग लगाने वाले या नुक्सान पहुंचाने वाले को उम्रकैद की सज़ा होगी। और तो और अपराधी को अपनी बेगुनाही को साबित भी स्वयं ही करना पडेगा।"
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क़ानून बहुत ही अच्छा और स्वागत-योग्य हैं। निश्चित रूप से उन लोगो को सबक सिखाने वाला और हतोत्साहित करने वाला हैं, जो अपनी मांगो को पूरी करवाने के लिए तेल, गैस, आदि के वाहनों-पाईपलाइनो को आग लगाते-नुक्सान पहुंचाते रहते हैं। देश की संपत्ति हैं तेल-गैस। आम जनता और देश के विकास का एक मजबूत-सशक्त आधार हैं ये। लेकिन, मेरी चिंता तो इस बात को लेकर हैं कि-"देश के बाकी कानूनों जैसा ह्श्न ना हो इस क़ानून का, कही ये क़ानून भी देश के अन्य कानूनों की तरह कागजी ही ना रह जाए।"
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वैसे देश के अन्य कानूनों का प्रभावी उपयोग, प्रभावी पालना होनी ज्यादा जरूरी हैं। ये क़ानून अच्छा जरूर हैं, लेकिन इस क़ानून से आम जनता को कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला। माना कि-"ये क़ानून देश की अर्थव्यवस्था को नुक्सान होने से कुछ हद तक रोकेगा।" लेकिन, क्या गारंटी हैं कि-"इस क़ानून का हाल बाकी कानूनों जैसा नहीं होगा??" लेकिन ज़रा सोचिये-"तेल-गैस के टैंकरों-वाहनों, और पाइपलाइनों को आगजनी या नुक्सान पहुंचाने की कितनी कोशिशे होती हैं??, कितना तेल या गैस बेकार/नष्ट होता हैं इन मामलो में??" जाहिर हैं बहुत कम, ना के बराबर, नगण्य।
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तो फिर क्या जरूरत हैं नए क़ानून लाने की??, वो भी ऐसे मुद्दे को लेकर, जिसका आम जनता से कोई सरोकार ही नहीं हैं??, क्यों ला रहे हैं ये क़ानून??, क्या सिर्फ वह-वाही लूटने के लिए??, या फिर जनता का ध्यान कही और करने के लिए??, किसलिए लायेंगे आप ये क़ानून??, किसका भला हैं, इस क़ानून में??, बताइये, जनता आपसे कुछ पूछ रही हैं, जवाब दीजिये......। अरे आप क्या जवाब देंगे??, आपके पास तो जवाब हैं ही नहीं।
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अगर तेल-गैस की इतनी ही चिंता हैं तो जनता तक तेल-गैस पहुंचाइये।
जितना तेल-गैस उपलभध हैं या उत्पादित हो रहा हैं, उसे जनता को मुहैया कराइए।
ब्लैक मार्केटिंग, काला बाजारी को रोकिये।
महंगा-सस्ता के बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन आप जो भी भाव-दाम लगाइए, लेकिन उसे आम जन को तो दीजिये।
तेल-गैस की किल्लत-कमी को दूर कीजिये।
करने को तो बहुत कुछ हैं, अगर आपकी मंशा, इच्छाशक्ति हो तो।
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ये तो बात थी तेल-गैस की, अब बात करते हैं अन्य कानूनों की। चोरी-डैकैती को रोकिये, हत्याओं-बलात्कारो को रोकिये, लूटपाट-दंगो को रोकिये, दहेज़ हत्याओं-बाल विवाहों को रोकिये, अपहरणों-फिरौतियों को रोकिये, आदि-आदि। और इन सभी के लिए क़ानून भी बने हुए हैं, वे क़ानून सख्त हैं या नहीं?? मुद्दा ये नहीं हैं, मुद्दा हैं कानूनों की प्रभावी पालना, जोकि हो नही रही हैं। ये क़ानून सीधे-सीधे आम जन से जुड़े हुए हैं, इन कानूनों में आम जनता के हित जुड़े हुए हैं। नाकि उस क़ानून में, जिसको आप जल्द ही लागू करने की मंशा लिए हैं। ये क़ानून जरूरी जरूर हैं, लेकिन इससे भी जरुरी हैं मौजूदा अन्य कानूनों की पालना।
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वैसा ऐसा सिर्फ और सिर्फ भारत में ही संभव हैं, जहां सरकार क़ानून बनाना ही जानती हैं, पालना करना नहीं। और तो और सरकार को जब क़ानून बनाने के लिए कोई उपयुक्त स्थान नहीं मिला, तो ऐसे मुद्दे पर क़ानून बनाने में व्यस्त हो गई हैं, जिसका आम आदमी से कोई सरोकार ही नहीं हैं।
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
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अच्छी प्रस्तुति.....विचारणीय पोस्ट....
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