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भगदड़ कब तक??????
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हालांकि आज मेरे पास ब्लॉग लिखने का वक़्त नहीं था और नाही मैं आज ब्लॉग पोस्ट करने की सोच कर बैठा था। लेकिन वाकया ही ऐसा घटित हो गया की मुझे आज आपात-स्थिति में ब्लॉग लेखन करना पडा। मेरा ब्लॉग लेखन आज नहीं करना था, इसका सबसे बड़ा सबूत यही हैं कि-"यह मेरा अभी तक का सबसे छोटा ब्लॉग पोस्ट हैं और सबसे ज्यादा जल्दी में लिखा हुआ भी।"
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कल सभी खबरिया समाचार पत्र और समाचार चैनल एक दुखांत घटना से परिपूर्ण थे। बाबा कृपालु जी महाराज के आश्रम में मची भगदड़ में साठ से ज्यादा लोग मारे गए और असंख्य लोग घायल हो गए। मारे गए लोगो में बच्चो और महिलायों की संख्या ज्यादा हैं। यह बहुत ही दिल देहला देने वाला नज़ारा था, कमजोर दिल के लोगो की तो हालत ही बिगड़ गयी होगी। मैं तो कई देर तक गंभीर सोच में पड़ गया, लेकिन क्यूंकि यह ब्लॉग पोस्ट जल्दी में की गयी हैं, इसलिए ज्यादा लम्बा ना लिखते हुए सिर्फ अपनी चिंताओं और सवालों को व्यक्त कर रहा हूँ।
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मेरे मन में निम्नलिखित चिंताएं-सवाल व्याप्त थे =
कब तक मचती रहेगी ऐसी जानलेवा भगदड़???
कब तक लोग बाबाओं-साधू-संतो की भीड़ भरी और असुरक्षित समागमो में जाते रहेंगे???
कब तक बाबा लोगो की सेवा करने या आशीर्वाद लेने के चक्कर में लोग मरने जाते रहेंगे??
आये दिन ऐसे हादसे, ऐसी दुखद घटनाओं की खबरे आती रहती हैं। कब रुकेंगी ऐसी खबरे आनी???
लोग पुरानी मौतों को भूलते नहीं कि कोई नयी घटना हो जाती हैं। जिम्मेदार कौन??
किसी को जाने से मैं रोक नहीं रहा हूँ लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी भी तो भक्तो को होनी चाहिए।
लोगो को दीर्ध आयु, तरक्की का आशीर्वाद देने वाले बाबा के सामने ही लोग काल-कवलित क्यों हो जाते हैं??
आम दिनों की बजाय बड़े महोत्सवो में ही क्यों जाते हैं लोग??
जबकि लोगो को पहले से ही भीड़ होने, असुरक्षा और असुविधा होने की पूरी जानकारी होती हैं।
क्या बड़े दिनों में या महोत्सवो में बाबा ज्यादा दमदार-तगड़ा आशीर्वाद देते हैं??
ना जाने कितने लोग इन भगदड़ो में मारे जा चुके हैं, और आगे भी ना जाने कितने लोग मारे जाएँगे??
इन मौतों से बाबा या संत महात्मा कोई सबक लेंगे, इसमें तो मुझे शंशय हैं।
लेकिन इन मौतों से आम जनता और प्रशासन कब सबक लेगा??
मृतकों-घायलों को कुछेक हज़ार या लाख की आर्थिक मदद क्या सार्थक हैं???
कब तक मुआवजा बाँट कर लोगो का ध्यान भटकाने की कोशिश की जाती रहेगी??
जितनी इनकी कमाई हैं, उसके आगे तो ये मुआवजा ऊंट के मूंह में जीरे के सामान हैं।
मैं यहाँ मुआवजा राशि बढाने के लिए नहीं कह रहा हूँ, मैं यहाँ अनमोल जिंदगियों की कीमत समझने के लिए कह रहा हूँ।
वो अनमोल जिंदगी जिसका आंकलन आप रुपयों में करते हैं। जबकि वो अरबो रुपयों से भी कही ज्यादा कीमती हैं।
उन बच्चो, उन विधवाओं की कुछ सोचिये?? जिन्हें आप मुआवजा रुपी लोलिपॉप से बहलाना चाहते हैं।
उन बुजुर्गो के सम्बन्ध में सोचिये जिनका एकमात्र कमाऊ बेटा या बेटी आपकी भगदड़ में आपकी (भगवान् की) प्यारी हो गयी।
आदि-आदि।
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और भी बहुत सारे-कई सवाल मेरे मन में उठ रहे हैं, लेकिन क्यूंकि जल्दी में होने और वक़्त ना होने के कारण मैं आज इतना ही ब्लॉग में लिख रहा हूँ। सभी मृतकों और घायलों को मेरी, मेरे ब्लॉग, और मेरे ब्लॉग के सभी पाठको की तरफ से हार्दिक संवेदना।
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बिलकुल सही बात । लेकिन जिम्मेदार कौन ?
ReplyDeleteहमारी तथाकथित भोली भली बेवक़ूफ़ जनता , जो इंसान कहलाने लायक नहीं , उसी को भगवान् मानकर उसकी पूजा करते हैं। जाने कब अक्ल आएगी।
---जाने कितने ही बाबा हैं , जो इंसान के रूप में भेड़िये बनकर जनता को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं , और लोग बन रहे हैं। लेकिन कौन समझाए ।
सोनी जी , पोस्ट छोटी ही लिखो । दूसरों को भी पढो और टिपण्णी दो । धीरे धीरे ट्रैफिक बढेगा।
सोनी जी देश बाबाओ का ही है, हम आप तो घंटाल है जिन्हे मार कर बजाया जाता हैं और बताया जाता हैं कि यहा दया निधान किस्म के लोग बैठे हैं, और सरकार नाम की चीज या तो इनकी दास हैं या दलाल
ReplyDeleteसतीश कुमार चौहान भिलाई
satishkumarchouhan.blogspot.com
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