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कुछ सीखो अपने दुश्मन चीन से।
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हाल ही में एक फैसले के अनुसार चीन में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने की बुरी आदत वालो सरकारी मकान छोडना पड़ सकता हैं। चीन के समृद्ध माने जाने वाले शहर गुआन्ग्झाओ के भूमि एवं आवास प्रबंधन विभाग की नई योजना के मुताबिक़ सार्वजनिक स्थानों पर जहां-तहां थूकने वाले, कूड़ा-करकट फैलाने वाले, ज्यादा शोर-शराबा, हल्ला मचाने वाले, और जुआ खेलने वाले लोगो को सरकारी मकान की सुविधा छोड़ने का दंड भुगतना पडेगा। अगले हफ्ते तक यह योजना लागू कर दी जाएगी।
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क्या भारत के पास लागू करने के लिए ऐसी कोई योजना हैं???? हम हर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मंच से, हर बार यही राग अलापते रहते हैं कि-"2020 तक भारत विकासशील देश से विकसित देश में तब्दील हो जाएगा। हम तब चीन के समकक्ष होंगे।" और इस दावे को सच दिखाने के लिए यह तर्क दिया जाता हैं कि-"2020 तक भारत की आधी आबादी युवा (45 साल से कम उम्र की होगी) और चीन बुढ़ा देश ही रह जाएगा क्योंकि चीन की आबादी बढ़नी अब धीमी हो गयी हैं और तब ज्यादातर जनसंख्या बूढी ही होगी। जबकि भारत की आबादी युवा और ऊर्जावान होगी।"
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लेकिन मैं भारत के इस दावे को सिरे से खारिज करता हूँ। अगर के भारत के तर्क को मान भी लिया जाए, क़ुबूल भी कर लिया जाए, तो भी बहुत से सवाल अनुत्तरित ही रह जाते हैं। जिनके जवाब मेरे हिसाब से भारत सरकार के पास हैं ही नहीं और अगर हैं तो जनता को देना नहीं चाहेगी, वोट बैंक का मसला जो ठहरा। कुछ जवाब मांगते सवाल, जो मैं आम जनता की ओर से सरकार से पूछना चाहूँगा =
01. जनसंख्या चीन की बढ़नी रुकेगी या हमारी????
02. जैसे-जैसे भारत के लोगो के पास काम आ रहा हैं, पैसा आ रहा हैं, जागरूकता आ रही हैं, ऐसे मैं कैसे माना जा सकता हैं कि"लोग पहले की तरह ही बच्चे करेंगे??
03. बढती महंगाई, बढ़ते खर्चो को देखकर आम आदमी खुद की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहा हैं, क्या आप कहेंगे उनसे-"घबराइये नहीं खर्चे हम उठाएंगे, आप बस बच्चे जनिये, आखिर चीन को जो पछाड़ना हैं।"
04. लोगबाग़ अब जागरूक हो गए हैं, उन्हें अहसास हो गया हैं कि-"बच्चे पालना अब बहुत खर्चीला काम हो गया हैं।"
05. ग्रामीण क्षेत्रो में भी अब तेजी से जागरूकता आ रही हैं, शहरी क्षेत्रो में तो अधिकाँश लोग अब दो नहीं बल्कि "हम दो हमारा एक" की नीति अपना चुके हैं।
06. ज्यादा बच्चे होने से क्या उनके लालन-पालन पर खर्चा नहीं होगा, बच्चे जब बड़े हो जायेंगे तब क्या उनकी पढ़ाई-लिखाई, ट्युशन-किताबो, और खाने-पीने पर खर्चा नहीं आयेगा???
07. अगर सरकार इन बच्चो और युवाओं का खर्चा खुद वहन करेंगी (हालांकि ऐसा हो नहीं सकता), तब क्या राजकोष-खजाने पर बोझ नहीं पडेगा??
08. तब (2020 में) आम लोगो के खाने-पीने के लिए इतना अनाज उत्पादन कहाँ से कर पाएगी भारत सरकार???
09. क्या भारत सरकार ने इतनी नौकरियों की प्लानिंग कर रखी हैं, कि-"भविष्य में उनकी बेरोजगारी को दूर किया जा सके??
10. अगर नहीं, तो बेरोजगारी से पैदा होने वाले सामाजिक-आर्थिक अपराधो से सरकार कैसे निपटेंगी??
जनसंख्या के हिसाब से भारत विश्व में दुसरे नंबर पर हैं और क्षेत्रफल के लिहाज़ से सातवे स्थान पर।
11. अभी यह स्थिति हैं, तो क्या आगे की कल्पना क्या भारत सरकार ने नहीं की हैं????
12. आज भारत में इतनी भूखमरी, अकाल, महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, आदि हैं। 2020 में, जब जनसंख्या आज के मुकाबले काफी अधिक होगी, तब क्या होगा इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता हैं???
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हालांकि चीन के साथ हमारा एक बार भीषण युद्ध भी हो चुका हैं। चीन ने हमारे एक विशाल भू-भाग पर कब्ज़ा भी ज़माया हुआ हैं। चीन भारत के दुश्मनों का मित्र हैं, चीन भारत की तरक्की, भारत के अमन-चैन का दुश्मन हैं। चीन भरोसे लायक नहीं हैं, चीन भारत को तोड़ना चाहता हैं, चीन की कुदृष्टि भारत के दूर-दराज़ के राज्यों पर कब्ज़ा करने की हैं।
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लेकिन फिर भी में एक बात कहना चाहूँगा-"चीन हमारा दुश्मन भले ही हो, लेकिन दुश्मन को पराजित करने के लिए यह आवश्यक हैं कि-"हम उसकी ताकत को अपनी ताकत बनाए, उसकी अच्छी आदतों को अपनाए। तभी हम उसका मुकाबला कर सकेंगे।" अपनी बुराइयों को त्यागने और दूसरो की अच्छाइयो को अपनाने में कैसी शर्म??? दुनिया के अन्य विकसित देशो के समकक्ष आने के लिए हमारा स्वयं का विकसित होना अतिआवश्यक हैं। अगर चीन विकसित देशो की कतार में शामिल होने के लिए एक कदम उठाता हैं, तो हमें दो कदम उठाने चाहिए। भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि-"अब तक जो लड़ाई हमने लड़ी हैं, वो सिर्फ ट्रेलर ही था। असली लड़ाई तो अब शुरू होनी हैं, जिसमे जीत के लिए हमें कई अन्य देशो की जरूरत पड़ेगी। अब तक की लड़ाई दो-तीन देशो के सामने ही थी, अब लड़ाई विश्व समुदाय के समक्ष लड़ी जानी हैं। इसलिए हमें स्वयं का विकसित होना जरुरी हैं। चाहे भले ही हमें इसके लिए अपने दुश्मन की अच्छाइयों को ही क्यों ना अपनाना पड़े??
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मेरी भारत सरकार से एक ही गुजारिश हैं कि-"चीन से हमारी लड़ाई युवा-ऊर्जावान जनसंख्या जैसे झूठे-भ्रामक आंकड़ो के दलदल में फंस कर लड़ने की बजाय, सार्थक आंकड़ो (शिक्षा, रोजगार, टैलेंट, सामर्थ्य, भरपेट व पौषटिक भोजन, न्यूनतम अपराध दर, कम से कम महंगाई दर, न्यूनतम गरीबी, बढ़ी हुई सकल घरेलु/प्रति व्यक्ति आय, भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन, कड़ी-सख्त व तीव्र रफ़्तार क़ानून-न्यायिक प्रणाली, आदि) के सहारे लड़ी जाए।"
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और सबसे बड़ी बात-"चीन के चक्कर में उलझने की बजाय, सारा ध्यान अपनी तरफ, अपने लोगो के विकास और समस्या-समाधान की तरफ लगाइए। ताकि हम विकसित देशो की कतार में 2020 तक शामिल ही नहीं बल्कि सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़े हो। और........और........चीन हमसे कोसो दूर हो।"
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धन्यवाद।
FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
india........kab banegaa gandhijii k sapnon ka bhaarat?
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