जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा हैं। देशद्रोही-देशविरोधी सांसद, यही कह रहा हूँ मैं। अपने देश की सबसे बड़ी पंचायत (संसद) के कथित रूप से सम्मानित सदस्यों (सांसदों) को मैं देशद्रोही-देशविरोधी ना कहू तो क्या कहू?? इन्होने जो भूल की हैं वो कदापि क्षमा-योग्य नही हैं। अगर यह संसद-सदस्य ज़रा भी जागरूक-देशभक्त-और जनता के सच्चे प्रतिनिधि होते तो यह गलती बिल्कुल भी नही होती।
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13.दिसम्बर.2001 को देश की सबसे बड़ी पंचायत, देश की आन-बान-शान, संसद भवन पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। पाकिस्तान के आतंकियों ने सुनियोजित ढंग से संसद भवन पर हमला बोल दिया था। आतंकी पुरी तरह से प्रशिक्षित, ट्रेंड थे। आतंककारियों के पास भारी मात्रा में गोला-बारूद, संसद भवन का चप्पे-चप्पे का नक्सा, और संसद भवन में बेरोकटोक आवागमन के लिए विआईपी पास-गेट पास भी था। उनके पास संसद के चप्पे-चप्पे, कोने-कोने का नक्सा था, तभी तो घुसते ही अलग-अलग दरवाजो पर धावा बोल दिया था।
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जिस तरीके से उन्होंने हमला किया, जिस प्लानिंग-होशियारी के साथ उन्होंने नापाक इरादे जताए, उससे साफ़ हैं कि-"उनका मकसद सिर्फ हमला करके भाग जाना ही नहीं था। बल्कि संसद के अन्दर घुस कर सभी संसद-सदस्यों (सांसदों), प्रधान मंत्री, और अन्य महत्तवपूर्ण मंत्रियो को मारने का था।" गौरतलब हैं कि-"संसद के अन्दर सुरक्षा कर्मी तो होते हैं, लेकिन बिना हथियारों के। उनके पास लाठी-डंडो के अलावा कोई हथियार नहीं होता हैं।"
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यह तो शुक्र हैं कि-"सुरक्षा बलों ने तत्काल मोर्चा संभालते हुए उन आतंककारियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। वरना वे संसद भवन के अन्दर प्रवेश कर जाते, और..................उसके बाद देश के पास कुछ भी नहीं बचता, सब कुछ तबाह-खत्म हो जाता।" यह अब तक का सबसे भीषण आतंकी हमला था। इस संघर्ष में काफी सारे लोग शहीद हो गए थे। यह वही शहीद हैं, जिनकी बदौलत आज भी संसद की आन-बान-शान बरकरार हैं।
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लेकिन दुर्भाग्य देखिये आज 13.दिसम्बर.2009 को उन शहीदों को किसी ने याद करना भी उचित नहीं समझा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवानी और कुछेक सांसदों (मात्र ग्यारह सांसद) ने ही उन्हें याद किया। बाकी अन्य मंत्रियो और सांसदों ने उन शहीदों के आगे दो मिनट भी शीश नहीं नवाया। क्या सन्देश दे रहे हैं देश के वर्तमान-भावी कर्णधार????, क्या साबित करना चाहते हैं देश के कोने-कोने से आये प्रतिनिधि (सांसद)???, शहीदों के लिए क्या और कितना एहसान-सम्मान हैं आप सबके दिल में??, यह आज दिखलाई दे गया हैं।
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देश के शहीदों के प्रति, देश की इज्ज़त बचाने वालो के प्रति, आप सभी सांसदों का रवैया साबित कर रहा हैं कि-"आप सबमे देश के सांसद, देश के संसद-सदस्य, और जनप्रतिनिधि कहलाने की योग्यता नहीं हैं। आप सब देशविरोधी-देशद्रोही हैं।" जिनके दिल में शहीदों के प्रति सम्मान ना हो उन्हें देशभक्त कैसे कहा जा सकता हैं??, वे सच्चे भारतीय कैसे कहलाये जा सकते हैं??
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यही लोकतंत्र की कमजोरी और दुर्भाग्य भी हैं। कुछ सवाल जिनके सही-सही जवाब मुझे समझ में नही आ रहा हैं जैसे कि-"आम जनता ऐसे लोगो को क्यूँ अपना जनप्रतिनिधि बना कर जिताती हैं?, क्यूँ जनता ऐसे देशद्रोहियों को संसद जैसी पावन जगह पर भेजती हैं?, क्यूँ लोकतंत्र होने के बावजूद लोगो से गलतियां हो जाती हैं??, राजशाही-राजतंत्र जाने के बाद तो स्थितियां बदल जानी चाहिए थी, अब तक क्यूँ नही बदली??, और सबसे बड़ा सवाल-"कब तक जनता भूल करती रहेगी और देश के ऐसे नकारा-निकम्मे रखवाले-प्रतिनिधि संसद सदस्य बनते रहेंगे?????"
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इसलिए मेरी आप सभी भारतवासियों से यही अपील हैं कि-"अब तक जो होता आया हैं या अब तक जो हो गया हैं, उसे भूल जाईये। और अब एक नयी-अभिनव शुरुवात कीजिये, अगले (चाहे जब भी हो) चुनावों में उन्ही लोगो को अपना नुमाइंदा-प्रतिनिधि बना कर संसद भेजना हैं, जो देश भक्त हो, जो सच्चा भारतीय हो, जिसके दिल में शहीदों के प्रति मान-सम्मान का भाव हो।"
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और सबसे अहम् और महत्तवपूर्ण बात--"आप चाहे जिसे भी चुने-भेजे, उसका (आपका अपना नुमाइंदा-प्रतिनिधि) का दिल से भारतीय होना जरुरी हैं, नाकि चेहर-मोहरे, हाव-भाव, रूप-रंग-भाषा या नागरिकता से।"
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धन्यवाद।
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CHANDER KUMAR SONI,
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