....ऐसे बाल-दिवस का क्या औचित्य????
आज (14.नवम्बर.09) सारा देश नेहरू (देश के पहले प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू जी) का जन्मदिन बालदिवस के रूप में मना रहा हैं। लेकिन, मुझे इस बात का दुःख हैं कि-"आज का दिन लोग बाल-दिवस के रूप में मात्र इसलिए मना रहे हैं, कि-"नेहरू जी को बच्चो से बेहद प्यार था।"
आज के दिन को लोग (राजनितिक और कांग्रेसी विशेष तौर पर) नेहरू जी के जन्मदिन को बाल-दिवस के रूप में मना रहे हैं, लेकिन क्या किसी ने नेहरू जी के प्रिय बच्चो की तरफ़ देखा हैं???? लोगो को 14.नवम्बर.09 के दिन तो नेहरू जी याद हैं, लेकिन आश्चर्य हैं कि-"उन्हें नेहरू जी के प्रिय बच्चे याद नही हैं......"
देश भर में, सरकारे (राज्यों और केन्द्र दोनों की) बाल अधिकारों, बचपन को बचाने, आदि को लेकर जागरूक होने का दावा करती हैं, और इसके लिए काफ़ी सारे क़ानून-अधिनियम भी बनाए गए हैं। परन्तु यह एक बड़े दुःख की, दुर्भाग्य की बात हैं कि-"जितनी ज्यादा धज्जियाँ बाल अधिकारों और बचपन को बचाने से जुड़े सभी तरह के कानूनों-अधिनियमों की उड़ती हैं, उतनी धज्जियाँ शायद ही किसी और क़ानून की उड़ती होगी।"
अपवाद-स्वरुप (कुछेक जगहों को छोड़कर) कोई भी घर ऐसा नहीं हैं, जहां छोटे-छोटे बच्चे साफ़-सफाई ना करते हो। कोई भी दफ्तर, कार्यालय, ढाबा-रेस्तरां, आदि ऐसा नहीं मिलेगा जहां बाल-मजदूर छोटे-मोटे काम ना करते हो। सब कुछ सरेआम-सबके सामने, आँखों-देखी हो रहा हैं, लेकिन कोई रोकने या आवाज़ उठाने की जेहमत ही नहीं उठाना चाहता। वे इस बारे में किसी को कुछ कह नहीं सकते, हम इस बारे में किसी को कुछ कहना नहीं चाहते, ऐसे में उन्हें न्याय-इन्साफ मिलना तो मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं।
हर साल 14.नवम्बर को हम सब जवाहर लाल नेहरु जी को याद करते हैं। हर साल हम सब मिलकर नेहरु जी का जन्मदिन बाल-दिवस (चिल्ड्रेन्स डे) के रूप में मनाते हैं। जगह-जगह काफी भाषण बाजी होती हैं, जगह-जगह इस मुद्दे पर बहुत कुछ लिखा जाता हैं। लेकिन क्या यह सब करना सार्थक हैं?????????? क्या इससे उन असंख्य बाल-मजदूरों को न्याय मिल सकता हैं?, जिनकी सारी ज़िन्दगी इन्साफ के बिना ऐसे ही गुज़र जायेगी।
बेहतर होगा कि-
हम सब मिलकर बाल-अधिकारों की रक्षा करे।
हम सब मिलकर बचपन को नष्ट होने से बचाए।
हम सब मिलकर हर साल नेहरु जी के साथ-साथ बच्चो के बारे में भी सोचे।
नेहरु जी के सब आदर्शो में से, सबसे बड़े आदर्श (बच्चो से स्नेह) को अपना आदर्श माने।
नेहरु जी की तरह, हम भी बच्चो से प्यार करे और उनमे देश का भविष्य देखे।
वैसे भी, बच्चो के बिना नेहरू जी को याद करना अधूरा ही हैं। नेहरू जी, को पूर्ण रूप से तभी याद किया जा सकता हैं, जब उन्हें बच्चो के साथ याद किया जाए। बच्चो के प्रति उनके अपार प्रेम के कारण ही हम सब उन्हें चाचा नेहरू के नाम से भी जानते हैं। इसलिए कह रहा हूँ कि-"आप नेहरू जी के साथ-साथ बच्चो की भी सोच लीजिये, हो सकता हैं, आप भी किसी बच्चे के लिए सच में ही चाचा-नेहरु साबित हो......."
धन्यवाद।
FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
No comments:
Post a Comment
सुस्वागतम,
मुझे आपका ही इंतज़ार था,
कृपया बेझिझक आप अपने अच्छे-बुरे, सकारात्मक-नकारात्मक, जैसे भी हो,
अपने विचार-सुझाव-शिकायत दर्ज करे.
मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा.
धन्यवाद.