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जहर का सेवन क्यों???
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क्या आप जानते हैं कि--
आप जाने-अनजाने जहर खा रहे हैं??
आप जिस अनाज-दाल, फल-सब्जी को शुद्ध मान रहे हैं उस पर जहर लगा हुआ हैं??
जिस खाद्य पदार्थ को आप पौष्टिक मान कर खाते हैं, वो जहरीला हैं??
अपने शरीर को बनाने के लिए आप जो कुछ भी ले रहे हैं, वो बनाना तो दूर शरीर को बिगाड़ रहा हैं??
आदि-आदि।
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नहीं-नहीं आप कुछ भी नहीं जानते हैं। आपको तो बस खा-पी कर हज़म करने से मतलब हैं, बाकी क्या हैं, क्या नहीं हैं, आप कुछ भी नहीं जानते हैं। खाया-पीया-पचाया बस यही तीन लफ्ज आप जानते हैं, और तो कुछ आपको पता ही नहीं।
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आज अनाजो से लेकर दालो-चनो तक, फलो से लेकर सब्जियों तक हर चीज़ जहर से भरी हुई हैं। इन चीजो को जितना मर्ज़ी धो लो, रगड़ लो, चाहे कुछ भी कर लो, थोड़ा-बहुत जहरीला पदार्थ तो रह ही जाएगा। कारण......इन चीजो का उत्पादन ही जहर से किया जा रहा हैं। रासायनिक खाद ड़ाल-ड़ाल कर सारा नक्शा ही बिगाड़ दिया गया हैं। कल तक जिस रासायनिक खाद को जरुरत, मज़बूरी बता कर इस्तेमाल किया जाता था, उसी रासायनिक खाद को आज फैशन, तेज़ी से उत्पादन के लिए धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा हैं।
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ज्यादा से ज्यादा और तेज़ी से उत्पादन करने के लिए सम्पूर्ण मानव-जाति के जीवन से ही खिलवाड़ किया जा रहा हैं। रासायनिक खाद फायदे कम नुकसान ज्यादा देती हैं, रासायनिक खाद के नुकसान ही नुकसान हैं, और लोग (किसान) सब कुछ जानते-समझते हुए भी बेरोकटोक इनका इस्तेमाल बेतहाशा कर रहे हैं।
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रासायनिक खाद कृत्रिम तत्त्व हैं नाकि भूमि की खुराक। रासायनिक खाद भूमि को दूरगामी नुकसान पहुंचा रही हैं, किसान भले ही तात्कालिक-अल्पकालिक लाभ प्राप्त करता हो। लालचवश या देखा-देखी किसान रासायनिक खाद उपयोग में तो ला रहे हैं, लेकिन इसके अत्यधिक इस्तेमाल से जमीन कमजोर होकर बंजर हो जाती हैं। दूसरा, जल की कमी का मुख्य कारण भी रासायनिक खेती साबित हो सकती हैं, क्योंकि रासायनिक खेती से जल की आवश्यकता ज्यादा और बार-बार पड़ती हैं।
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किसान रासायनिक खेती से उत्पादन भले ही ज्यादा लेले लेकिन होता फिर भी घाटे में ही हैं। क्योंकि रासायनिक खेती के लम्बे इस्तेमाल के कारण जमीन कठोर हो जाती हैं, जिसकी वजह से जोत-खर्च भी बढ़ जाता हैं। रासायनिक खाद से तैयार अनाज-सब्जी-फल का स्वाद काफी अलग होता हैं। जैविक खाद के मुकाबले इस खाद से तैयार सब्जी-फल आदि काफी बेस्वाद और कम पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। कृषक को तात्कालिक लाभ भले ही हो, लेकिन इसका नुकसान भी उर्वरा शक्ति बढाने वाले जीवाणुओं के नष्ट होने के रूप में सामने आता हैं।
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धुप और ठण्ड से बचाव भी रासायनिक खाद लेने वाले पौधे-फसल कम ही कर पाते हैं। पर्यावरण के लिए तो रासायनिक खाद हैं ही नुकसानदेह, इसमें तो रत्ती भर भी कोई शक नहीं हैं। रासायनिक खाद के हानिकारक कैमिकल लोगो को जिगर, गुर्दे, और हर्दय रोगों के साथ-साथ जाने-अनजाने कैंसर भी दे रहे हैं। जैविक खाद के तो फायदे ही फायदे हैं, कही भी, कभी भी, किसी भी रूप में जैविक खाद नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। साथ ही, रासायनिक खाद के मुकाबले जैविक खाद काफी सस्ते, किफायती, कामयाब, और लम्बे समय तक असरकारक होते हैं। जैविक खाद के कई फायदे इस तरह हैं--
पर्यावरण की रक्षा होती हैं,
मिटटी भुरभुरी होने से उसमे हवा, पानी, और प्रकाश का संचार उचित ढंग से होता हैं,
कम बारिश में पानी लम्बे समय तक सोख कर रखती हैं और ज्यादा बारिश में पानी की निकासी करती हैं,
मिटटी का कलेवर अच्छा रहता हैं,
उर्वरा शक्ति बढती हैं,
उर्वरा शक्ति बढाने वाले जीवाणुओं की पैदावार प्राकृतिक रूप से बढती हैं,
अनाज-फल-सब्जी पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं,
एक बार की सिंचाई लम्बे समय तक चलती हैं,
बार-बार सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती,
कम सिंचाई के कारण पानी भी बचता हैं,
जमीन सख्त नहीं होती इससे जोत-खर्च बचता हैं,
फसल के धुप और ठण्ड से बचाव के लिए कोई ख़ास इंतजामात नहीं करने पड़ते,
प्राकृतिक रूप से भूमि की खुराक भी हैं जैविक खाद,
आदि-आदि।
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तो क्यों किसान अपने देश के ही लोगो को जहर परोसना चाहते हैं??
रासायनिक खाद और जैविक खाद के फायदों-नुकसानों को जानते हुए भी किसान चुप क्यों हैं??
चंद लाभ के लिए, लोगो के जीवन से खिलवाड़ करना क्या उचित हैं??
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मेरी इस ब्लॉग के माध्यम से सभी किसान भाइयो से निवेदन हैं कि-"जहां तक हो सके अपनी खेती-फसल में जैविक खाद का ही इस्तेमाल करे, और रासायनिक खाद का इस्तेमाल ना के बराबर करते हुए रासायनिक खाद के उपयोग को हतोत्साहित करे।"
साथ ही मेरी आम जनता से निवेदन हैं कि-"हमेशा यथासंभव जैविक खाद से तैयार फसल (फल-सब्जी-अनाज) ही खरीदें, इसके लिए आप सीधे उन खेतो से खरीद करे जो जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। इससे रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने वाले हतोत्साहित होंगे।
और यदि आप किसी जैविक खाद का उपयोग करने वाले खेत या किसान के बारे में नहीं जानते तो बेहतर हैं आप उन दुकानों से खरीदी करे जिनके पास शत-प्रतिशत जैविक-प्राकृतिक खाद से तैयार माल मिले। (महानगरो-बड़े शहरों में कई दुकाने इस तरह की खुली हैं जो लिखित में, शुद्ध रूप से जैविक खाद से तैयार खाद्य पदार्थ रखती हैं।)"
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
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सही ध्यान दिलाया है ।
ReplyDeleteरसायनों से होने वाली क्षति के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए ।
ओर्गानिक फूड्स का कोई मुकाबला नहीं ।
आजकल तो कोल्ड ड्रिंक्स भी नकली मिलने लगी हैं ।
Very informative post...thanks.
ReplyDeletegud, mr. ck soni ji....
ReplyDeletelogo ko sachet kr samajik dayitv pura kr rahe hain...
main bhi blog pr thoda chnage hokr louta hoon...
आजकल तो कोल्ड ड्रिंक्स भी नकली मिलने लगी हैं ।
ReplyDeletedral ji ne bilkul sahi kaha
दायित्व-निर्वहन हेतु आप सबमें से प्रत्येक का आह्वान
ReplyDeleteनागरिकों/ग्रामीणों/पत्रकारों/सम्पादकों/विधायिका/कार्यपालिका/न्यायपालिका व अन्य सबमें से प्रत्येक!
आषा है आप सक्रिय सहभागिता निभायेंगे। मानवजन्म से ईष्वर की अपेक्षाएँ अत्यधिक होती हैं। मैंने (सुमित कुमार राय, जैव-प्रौद्योगिकी स्नातकोत्तर, आंग्लभाषा से हिन्दी स्वतंत्र अनूदक, भोपाल) अपने मन में सूचनाधिकार, जनहितयाचिका, स्टिंग आॅपरेषन्स आदि द्वारा आमूल परिवर्तन हेतु कुछ योजनाएँ तैयार की हैं, सूचनाधिकार-प्रयोग तो आरम्भ भी कर दिया है किन्तु इन पुनीत बहुउद्देष्यीय परियोजनाओं में आप सबमें से प्रत्येक की सक्रिय सहभागिता हो, तो क्रांति लाना कोई कठिन कार्य नहीं, आपकी सहभागिता निम्नांकित रूपों में हो सकती है(सबके लिए बौद्धिक मार्गदर्षन हेतु मैं सदैव उपलब्ध रहूँगा)ः-
उक्त में से कोई
प्रथम- सूचनाधिकार-प्रयोग करके
द्वितीय- जनहितयाचिका दायर करके
तृतीय- स्टिंग आॅपरेषन करके
चतुर्थ- अन्य प्रकारों द्वारा(उदाहरणार्थ किसी विषय पर परिणाम-मूलक चर्चा करके अथवा आप जिन प्रकारों से भी कर्म हेतु इच्छुक हों
सुमित 91-9425605432 विस्तार हेतु(अथवा यदि आप करने को इच्छुक तो हैं परन्तु अभी भी अपनी भूमिका स्पष्ट न हो पायी हो, तो) सम्पर्क करें