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विश्वास कीजिये कि विश्वास हैं।
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अगर आपसे कोई पूछे कि-"दुनिया किस पर कायम हैं या दुनिया के चलने का आधार क्या हैं??" तो आप क्या जवाब देंगे?? चलिए छोडिये मैं ही बताये देता हूँ। और उत्तर मात्र एक शब्द लेकिन गहरे अर्थ का हैं, और वो शब्द हैं-"विश्वास"।
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जी हाँ विश्वास कीजिये कि-विश्वास हैं। विश्वास पर ही दुनिया कायम हैं और दुनिया के अनवरत चलने का आधार ही विश्वास हैं। हमारी ज़िन्दगी में, हमारे आस-पास घटित हो रही हर घटना के पीछे एक अदृश्य विश्वास ही हैं। विश्वास के कारण ही हम आज इक्कीसवी सदी देख रहे हैं, अगर विश्वास ही नहीं होता तो शायद हम भी ना होते।
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बहुत से लोग विशेषकर धोखा खाए लोग विश्वास नाम की चीज़ ही नहीं मानते। ये लोग तो विश्वास जैसी बात को तो सिरे से ही नकार देते हैं। लेकिन, भाइयो आपके दुःख की, आपकी भावनाओं की, और आपके ज़ज्बातों की मैं कद्र करता हूँ, लेकिन यह कोई अंतिम सच नहीं हैं। दुनिया में अविश्वास से कही लाखो गुणा विश्वास मौजूद हैं। अगर आपके साथ एक ज़ना धोखा करता हैं तो सौ लोग विश्वास भी तो करते हैं...इस तथ्य को क्यूँ ठुकरा रहे हैं आप????
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जब आप गाडी, मोटर साइकिल, या कोई अन्य वाहन चलाते हैं तो क्या आपको खुद पर और दूसरो पर विश्वास नहीं होता?? खुद पर तो आपको ये होता ही हैं कि-"आप बिना गिरे, बिना चोट खाए, और बिना संतुलन खोये आप सफलतापूर्वक वाहन चला लेंगे।" लेकिन दूसरो पर भी तो आप विश्वास बनाए रखते हैं, मैं जानता हूँ कइयो का जवाब नकारात्मक होगा, लेकिन मुझे पता हैं कि आप जाने-अनजाने अन्यो पर विश्वास करते हैं। दूसरो पर आपको विश्वास करना ही होता हैं कि-"वो आपके साइड मांगने पर ख़ुशी-ख़ुशी साइड दे देगा, वो मुड़ने से पहले इन्डिकेटर या इशारा देगा, वो अपनी लेन-सड़क पर ही अपना वाहन चलाएगा और आपके समक्ष नहीं आयेगा, और ये भी कि-वो अपना संतुलन बनाकर रखेगा और आपमें आकर नहीं ठोकेगा...!!!"
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क्या आपको अपने देश कि पुलिस और कानूनों पर विश्वास नहीं हैं??? अगर नहीं, तो आप सच्चे भारतीय नहीं हो सकते। हर भारतीय को अपने संविधान पर विश्वास होना चाहिए, और जो संविधान पर विश्वास करता हैं, वो अपने क़ानून-पुलिस पर भी विश्वास करता हैं। अगर आपके साथ पुलिस द्वारा कोई अन्याय होता हैं तो आपका चुप बैठना गलत हैं। उच्चाधिकारियों को शिकायत करने की बजाय आप व्यवस्था पर अविश्वास करते है। जोकि गलत हैं, आपको विश्वास रखते हुए आगामी कारर्वाही करनी चाहिए। वैसे आमतौर पर आप पुलिस-क़ानून पर विश्वास करते हैं, तभी तो आप उनकी शरण में जाते हैं और दुर्भाग्य से आपका विश्वास कभी-कभी तोड़ दिया जाता हैं। लेकिन, सौभाग्य से आप अभी भी विश्वास का दामन थामे होते हैं, और आवश्यकता पड़ने पर पुन: उनकी शरण में चले जाते हैं।
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जब आप पर कोई संकट आता हैं या आप किसी विपदा में फंस जाते हैं, तो आप जिसपर विश्वास ही नहीं करते वही अक्सर आपके साथ खडा होता हैं। आगजनी, भूकंप, सुनामी, चक्रवात, और इसी तरह की अन्य प्राकृतिक-अप्राकृतिक हादसों/आपदाओं के वक़्त आप अनजान लोगो की मदद करते हैं और अनजाने लोग आपकी तत्काल मदद करते हैं। यहाँ सभी लोग एक अनोखे और मजबूत विश्वास के बंधन में बन्ध जाते हैं। और कई-दुर्लभ मामलो में तो जब सभी लोग, सारे लोग, सारे राहत दल-और सरकारे किसी के बचने की उम्मीद ही छोड़ देती हैं, तो कई-कई दिनों बाद किसी के ज़िंदा होने के सबूत (हिलना, कराहना, आदि) मिल जाते हैं। अब इसे आप क्या कहेंगे??, उन सभी के ज़िंदा बचने का एकमात्र कारण उनका विश्वास था, अन्यथा वे भी बाकी मृतकों की सूची में शामिल हो सकते थे।
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अगर अभी भी आपको विश्वास पर विश्वास ना हो रहा हो तो मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि-"जब आप मोबाइल में कोई काम करते हैं, सन्देश पढ़ते हैं, या कोई गेम खेलते हैं तो आपको विश्वास रहता हैं कि-"मोबाइल सही काम करता रहेगा, मोबाइल कम बैटरी के कारण बंद नहीं होगा, या मोबाइल हँग-जाम नहीं होगा।" इसी तरह जब आप अपनी कुर्सी या चारपाई पर बैठे होते हैं तो आपको विश्वास होता हैं कि-"ये चारपाई/कुर्सी टूटेगी नहीं या संतुलन नहीं खोएगी और आप गिरेंगे नहीं।"
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भई, अगर आपको अब भी किसी पर विश्वास नहीं हो रहा हैं, आप विश्वास नाम की चीज़ को ही नहीं मानते हैं, तो मैं तो क्या??, दुनिया की कोई भी ताकत आप में विश्वास नहीं जगा सकती। वैसे मैं आप सबकी जानकारी के लिए बता दूँ कि-"जब मैं ये ब्लॉग लिख रहा था तो मुझे तो कई तरह के, कई भांत-भांत के विश्वास थे जैसे कि-"लैपटॉप बंद नहीं होगा, लैपटॉप हँग नहीं होगा, इंटरनेट बिना रुकावट चलता रहेगा, इंटरनेट धीरे नहीं चलेगा, आदि-आदि।"
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एक और बात -- विश्वास का दिखाई देना हर मामले में, हर बार संभव नहीं हो सकता हैं। बहुत से विश्वास, दिखाई नहीं देते हैं, प्रत्यक्ष रूप से आपके समक्ष नहीं होते हैं, लेकिन परोक्ष रूप से उनकी प्रभावी और असरदार उपस्थिति होती हैं। चाहे आप यकीन करे या ना करे, पर सत्य यही हैं। वैसे विश्वास को लेकर उदाहरण तो बहुत हैं, उदाहरणों की फेहरिस्त बहुत लम्बी-चौड़ी हैं। जोकि, मैं दे तो सकता हूँ, लेकिन समयाभाव के कारण नहीं दे रहा। जिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।
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विश्वास जिंदाबाद।
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धन्यवाद।
FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
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RAJASTHAN, INDIA.
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CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
भई हमें तो आपकी बात पर विश्वास है ।
ReplyDeleteलेकिन ट्रैफिक में दूसरों पर विश्वास करना घातक हो सकता है ।
इसलिए खुद पर ही रखें ।
vishwas karne hi vishwas badhta hai...
ReplyDeleteवाह!सुन्दर रचना।
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