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सट्टा-जुआ-लाटरी चिटफण्ड या चीटफण्ड????
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ज्यादा धन कमाने, जल्दी अमीर बनने या कमाई के शॉर्ट कट के रूप में लोग सट्टे-जुए, और लाटरी पर शायद ज्यादा ही विश्वास करते हैं। पता नहीं लोग मेहनत करके, इज्ज़त की रोटी की बजाय सट्टे-जुए जैसी मुफ्त (हराम) की कमाई की रोटी खाना क्यों पसंद करते हैं?? लोगो में सट्टे की इतनी बुरी लत पैदा हो चुकी हैं कि-"वे अपनी इज्ज़त, अपने मान-सम्मान को भी गंवाने को सहर्ष तैयार हो जाते हैं। इज्ज़त-मान सम्मान के बाद बाद नंबर घर के कपडे-लत्तो, और बर्तनों का आता हैं, जिसे भी सटोरिये सट्टो के अड्डो पर लुटा डालते हैं। "
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इसका मुख्य कारण 1 के बदले 90 (कुछ जगह 95) के लालच में लोगबाग बड़ी आसानी से आ जाते हैं। लोग ये भूल जाते हैं कि-वे सट्टा लगा कर गंवाएंगे ही गंवाएंगे, पायेंगे कुछ भी नहीं।" यही (लगाईवाल के हाथ कुछ ना लगना और खाईवालो का भारी कमीशन) खाइवालो की अंधी-कमाई का राज हैं, लगाईवाल के हाथ सिवाय पश्तावे के कुछ नहीं आता हैं। लेकिन ये पश्तावा लम्बे समय तक नहीं टिक पाता हैं, सटोरियों के मन में लालच का पलड़ा सदैव ज्यादा भारी रहता हैं।
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ये सब चिटफण्ड नहीं चीटफण्ड हैं। और लोग चिटफण्ड समझ कर चीटफण्ड में अपना पैसा बर्बाद कर रहे हैं। आज तक मैंने कभी किसी को सट्टे-जुए के सहारे इज्ज़तदार तो दूर की बात अमीर बनते भी नहीं देखा हैं। और जो लोग सट्टे के सहारे अमीरी तक पहुँच भी गए वे लम्बे समय तक नहीं ठहर सके। और एक और बात, कुछ लोगो के बारे में कहा जाता हैं कि-वे खानदानी अमीर और सट्टेबाज़ हैं।" तो असलियत ये हैं कि-"वे खानदानी अमीर बेशक होंगे लेकिन उनके और भी कई काम भी अवश्य होंगे, हाँ कुछ कमाई जरूर सट्टे से आती होगी, लेकिन पुरी की पुरी कमाई सट्टे से आती हो, ऐसा तो संभव ही नहीं हैं। "
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मैंने तो आज तक लगवाने वालो को ही अमीर (अस्थाई तौर पर) होते देखा हैं बाकी सभी लगाने वालो को तो मैंने रोडपति, कंगाल होते हुए ही देखा हैं। मेहनत से बड़ा और बेहतरीन जरिया कोई नहीं हैं। मेहनत-मजदूरी करके दो जून की रोटी खाना ज्यादा इज्ज़त देता हैं नाकि सट्टे-जुए से प्राप्त अनाप-शनाप धनदौलत से कोई ज्यादा इज्ज़त होती हैं। फिर भी ना जाने क्यों लोग सट्टे-जुए-लाटरी की तरफ रुख करते हैं......????
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पुलिस-प्रशासन को सटोरियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाही करनी चाहिए। जोकि महज मामूली जुर्माना या एकाध महीने की सज़ा से कही बढ़ कर हो। वैसे पुलिस-क़ानून कुछ करे या ना करे लोगो को अपने सूझबूझ से, अपने विवेक से कार्य करना चाहिए। मेहनत का कोई विकल्प नहीं हैं, मेहनत ही सबसे बड़ी और इज्ज़त दायक चीज़ हैं, ये लोगो आज नहीं तो कल समझ में आ जाएगा, लेकिन आयेगा अवश्य।
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
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RAJASTHAN, INDIA.
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CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
police ko karyawahi karni to chahiye par
ReplyDeleteaaj ki police bik chuki hai...
jo ki satta bazar ko badhava deti hai...
lekin aaj nahi to kal
aana to hai hi......