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ये कैसी उलटी गंगा बह निकली??
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हाल ही में मैं (लगभग 5 दिन पहले) शहर की एक नामी (टॉप 5 में गिनी जाने वाली) मोबाइल की दूकान पर खडा था। तभी वहाँ एक 22-23 साल की कॉलेज जाने वाली युवती आई और अपना मोबाइल दुकानदार को पकड़ा दिया और सिर्फ इतना कहा--"बढ़िया-बढ़िया फ़िल्में ड़ाल दीजिये, मैं शाम को ले जाउंगी।"
दुकानदार बोला--"अभी ले जाइए, 10-15 मिनट में दे देता हूँ।"
मैंने दुकानदार से माज़रा पूछा--"ये चक्कर क्या हैं??, उसने कुछ बोला ही नहीं, बस मोबाइल पकडाया और पैसे देकर चलती बनी। ये मामला हैं क्या???"
दुकानदार--"यार बी.एफ. (ब्लू / अश्लील फिल्म) का चक्कर हैं।"
मेरी हंसी छुट गयी, मुझे लगा शायद मेरे साथ मज़ाक कर रहा हैं। मैंने कहा--"सीधे-सीधे बता ना यार, क्यों बकवास कर रहा हैं??, नहीं बताना चाहता तो साफ़ बोल दे।"
दुकानदार--"यार, सच कह रहा हूँ, वो हमारी परमानेंट (फिक्स) ग्राहक हैं, तभी तो मोबाइल देकर जाने को हो रही थी। वरना, लोग तो अपने सामने डॉउन्लोडिंग करवाते हैं ताकि हम उनके मोबाइल की गोपनीय चीज़ें अपने कम्पूटर में ना ड़ाल ले।"
मुझे अभी भी उसकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा था, हालांकि मैं अब कुछ हद तक गंभीर हो उठा था। तभी, उसी युवती की आवाज़ ने हमारे वार्तालाप को तोड़ा--"भैया, कितनी देर और लगेगी?? मैं कॉलेज को लेट हो रही हूँ, शाम को वापसी में ले जाउंगी। आराम से बैठकर बढ़िया-बढ़िया डॉउन्लोडिंग कर देना। अभी मैं चलती हूँ।"
दुकानदार--"बस जी हो गया, ले जाइए।" उसके बाद, युवती की सहमति को देखकर वो मेरी तरफ मुखातिब हुआ और बोला--"ये देख, इतनी मूवीज मैं इनके मोबाइल में ड़ाल चुका हूँ, और ये आखिरी और ड़ाल रहा हूँ। तेरे सामने ही हैं, अच्छी तरह से देख ले। हमारा तो ये रोज़-रोज़ का काम हैं, तू नहीं जानता ये सब। और ये लड़की हमारी काफी अच्छी और पुरानी ग्राहक हैं।"
दुकानदार ने लड़की को मोबाइल दिया और बाकी पैसे लौटा दिए। युवती--"नयी-नयी, लेटेस्ट मूवीज डाली हैं ना, कोई पुरानी तो नहीं हैं??" दुकानदार--"जी बिलकुल नहीं।"
दुकानदार मेरी तरफ मुस्कुराते हुए--"अब देखले सब तेरे सामने हैं। आजकल छापे काफी पड़ने लगे हैं, इसलिए किसी का मोबाइल दूकान में कम ही रखते हैं। पकडे जाने का डर होता हैं और बदनामी भी होती हैं। ज्यादातर डॉउन्लोडिंग हमारी इसी चीजों की होती हैं। स्थिर फोटो भी हैं, एनिमेटिड (चलित) फोटो भी हैं, कार्टून फोटो भी हैं, कार्टून मूवी भी हैं, और भी बहुत कुछ हैं हमारे पास। ग्राहक की जो डीमांड होती हैं, उसे पूरी करने की पूरी कोशिश रहती हैं, धंधा भी तो चलाना हैं......"
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इस घटनाक्रम के बाद मैं उस दूकान से घर चला गया। मेरे मन में कई ख्याल-सवाल उठने लगे, जिनके जवाब मुझे अभी तक नहीं मिल सके हैं। कुछ सवाल :--
ये उलटी गंगा कैसे और कबसे बहने लगी??
जिनपर महिलाओं-स्त्री जाति की इज्ज़त बचाने का भार हैं, वो ही ऐसी होंगी तो कैसे पार पड़ेंगी??
भैया बोलती हैं, फिर भी ऐसी-ऐसी अश्लील-कामुक सामग्री अपने मोबाइल में दलाने आती हैं। ये कैसा भाई-बहन का रिश्ता??
नारी अशिष्ट निरूपण अधिनियम किस काम का रह गया हैं??
अगर नारीवर्ग ही अश्लील फिल्मो, अश्लील चित्रों के प्रति दीवाना हो जाएगा, तो पुरुषो को कौन रोकेगा??
क्या नारी अशिष्ट निरूपण अधिनियम रद्द नहीं कर देना चाहिए?? क्योंकि अब नारी ही इन चीजों के समर्थन में उतर आई हैं।
आदि-आदि।
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यहाँ मैं पुरुष-स्त्री में भेदभाव नहीं कर रहा हूँ। नाही मैं नारीवर्ग के लिए कोई गलत-बुरी धारणा बना कर बैठा हूँ। यहाँ मैं नारी की जिम्मेदारी का एहसास उसे करा रहा हूँ। पुरुषो को भी सुधरना चाहिए, लेकिन नारी को ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता हैं। पुरुषवर्ग क़ानून से नहीं समझ पाया हैं, और नाही उसमे समझने की कोई लालसा हैं। लेकिन, स्त्री वर्ग को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। पुरुषो की नज़र में और ज्यादा गिरने से बचना चाहिए। पुरुष वर्ग वैसे ही स्त्री-वर्ग के प्रति संकीर्ण मानसिकता रखता हैं, उनके प्रति सम्मानजनक भाव नहीं रखता हैं। ऐसे में, स्त्रियों द्वारा मोबाइलों या अन्य माध्यमो से इन अश्लील सामग्रियों को बढ़ावा देना आत्महत्या जैसा ही हैं। पुरुषो को स्त्रियों को सुनाने का और मौक़ा मिल जाएगा जैसे--"भूखी कहीं की, शरीफ हैं नहीं बस नाटक करती हैं, चालु हैं सारी की सारी, (मैं यहाँ ज्यादा कुछ लिखना नहीं चाहता), आदि-आदि।" भले ही, ये मामला अपवाद-दुर्लभ हो या कोई-कोई, कुछेक लडकियां ऐसी हो। लेकिन कहते हैं ना, एक मछली पुरे तालाब को गंदा कर देती हैं, उसी तरह ये कुछेक लडकियां पूरी नारी जाति को बदनाम कर रही हैं।
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तो अब नारी-जाति इस उलटी बहती गंगा को रोकने के लिए कब, क्या, और कैसे करेंगी???
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धन्यवाद।
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FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
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बहुत गंभीर विषय है । और सच भी ।
ReplyDeleteलेकिन इतना रेयर भी नहीं ।
किसने सोचा था , समय इतना बदल जायेगा । इंसान पतन की राह पर काफी आगे निकल चुका है ।
यह गाना बजाना बंद कर दो भाई । बड़ा इरिटेटिंग लगता है ।
ReplyDeleteतेज़ी से बदल रहा है ज़माना ... कल जो बातें बस मर्दों के अधिकार में तीन आज महिलाएँ भी कर रही है .... शायद तभी ये प्रलाप है ...
ReplyDeleteआपकी पोस्ट अच्छी लगी पर जो बात दारल साहब ने कही वो मैं पहले भी कह चुकी हूँ
ReplyDeleteनई जानकारी...ईश्वर करे झूठ हो।
ReplyDeleteaapke blog ko bahut dhyan se main padh gai ,aur mijhe yahi laga ki sach me aisa hi hana chahiye
ReplyDeletebahut hi uttam ,sakaratmakta ki or aapka blog le jaata hai.yah ek bahut hi achhi koshish hai.
poonam
bahut hi gambir visya hai chander soni ji
ReplyDeletejamane ke sath nariya advance hoti ja rahi hai..unse desh smaj ki koi chinta nahi hai..
unhe apne man ki santusti chaiye......