.
तेज़ाब का इस्तेमाल क्यों????
.
आजकल बड़े-मेट्रो शहरों के साथ-साथ देश भर के सभी छोटे-बड़े शहरों में असामाजिक-आपराधिक तत्वों द्वारा तेज़ाब का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा हैं। अभी तक सुनारों और स्कूल-कॉलेजो की रसायन-शालाओं की शान रही तेज़ाब अब आम लोगो की ज़िन्दगी से खिलवाड़ करने का ज़रिया बन कर रह गयी हैं।
.
तेज़ाब एक ऐसा हथियार बन कर सामने आ रहा हैं जो लड़का और लड़की दोनों के भविष्य उजाड़ने क़ा कारण हैं। इस तरह के बहुत से उदाहरण आये दिन समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में आते रहते हैं जैसे कि-किसी लड़की ने किसी लड़के क़ा प्रेम-निवेदन को ठुकरा दिया तो लड़के ने उस लड़की के चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया या बदले की भावना से प्रेरित होकर या आपसी रंजिश के कारण किसी के भी ऊपर तेज़ाब फेंक देना आम बात हो चुकी हैं।
.
वैसे तो तेज़ाब क़ा नाजायज़-आपराधिक इस्तेमाल लडको द्वारा लड़कियों पर किया जाता रहा हैं, लेकिन इन दिनों लड़कियों द्वारा भी लडको पर तेज़ाब के इस्तेमाल की खबरे यदा-कदा आ ही जाती हैं। खैर मुद्दा ये नहीं हैं कि तेज़ाब क़ा इस्तेमाल कौन और किसपर करता हैं??? मुद्दा ये हैं कि-तेज़ाब क़ा इस्तेमाल क्यों किया जाता हैं???? लड़की की सारी ज़िन्दगी ही तबाह हो जाती हैं। ना वो कही आने-जाने योग्य रहती हैं ना कही पढ़ाई-लिखाई करने या काम-धंधा करने योग्य रहती हैं। शादी तो लगभग नामुमकिन हो जाती हैं। कोई भी लड़की चाहे कितनी भी बोल्ड-आधुनिक, खुले आचार-विचारों की क्यों ना हो, तेज़ाब के हादसे के बाद ज़िंदा लाश समान रह जाती हैं।
.
कोई चाहे कितना भी अमीर क्यों ना हो तेज़ाब गिरने से झुलसे चेहरे को पुन: पुरानी अवस्था में नहीं ला सकता। आज क़ा विज्ञान चाहे कितना भी उन्नत होने क़ा दावा क्यूँ ना करे, तेज़ाब से हुए (बिगड़े) चेहरे को ठीक नहीं कर सकता। ऐसा नहीं हैं तेज़ाब गिरने से सिर्फ लड़की की ही ज़िन्दगी बर्बाद होती हो, तेज़ाब डालने वाले (लड़के) की भी ज़िन्दगी नरक बन जाती हैं। उसे कोई पांच-सात साल नहीं बल्कि सीधे उम्रकैद की सज़ा भोगनी पड़ती हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और महिला आयोग ने केंद्र सरकार से इसकी सज़ा फांसी करने की अपील की थी। जोकि, अभी पेंडिंग हैं। लेकिन, ये तो तय हैं कि-"आम सज़ा (पांच-सात साल) से तो कही ज्यादा बड़ा गुनाह हैं तेज़ाब डालना।"
.
दिलजलो क़ा पसंदीदा हथियार हैं तेज़ाब। सबसे बड़ी बात, तेज़ाब की आसान उपलब्धता ने इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया हैं। गली-गली में खुली सुनार की दुकानों और स्कूल-कॉलेजो की रसायन-शालाओं से इन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं। कोई चाहे कितनी भी सख्ताई होने का दावा क्यों ना करे, अगर आपकी सुनार से या शैक्षिक संस्थानों से जानकारी, जान पहचान हैं तो समझो तेज़ाब आपकी पहुँच में ही हैं। फिर, जब चाहे, जैसे चाहे, जिस पर चाहे, इस्तेमाल कीजिये।
.
ऐसा नहीं हैं कि-"तेज़ाब का चलन सिर्फ भारत में ही होता हो, तेज़ाब का धड़ल्ले से इस्तेमाल पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, ईराक, और सउदी अरब में भी होता हैं।" ये महज़ एक संजोग ही हैं कि-"तेज़ाब का इस्तेमाल मुस्लिम बहुल देशो (मलेशिया क़ो छोड़कर) में ही बहुतायत में होता हैं। भारत के मामले में इसे संगति का असर ही माना जा सकता हैं, वरना भारत कोई मुस्लिम देश तो हैं नहीं।"
.
मैं तेज़ाब के बढ़ते इस्तेमाल क़ो लेकर चिंतित हूँ। ना जाने कितने लड़के तेज़ाब फेंक कर जेल की सलाखों के पीछे पहुँच गए हैं और ना जाने कितनी लड़कियों की ज़िन्दगी तेज़ाब से झुलसकर बर्बाद हो चुकी हैं। क्योंकि उस वक़्त अपराधी (चाहे लड़का हो या लड़की) पर एक भूत-जूनून सवार रहता हैं, वो उस वक़्त आगे-पीछे, अच्छा-बुरा कुछ भी नहीं सोचता हैं इसलिए क़ानून चाहे कितना भी सख्त क्यों ना हो जाए, सुनार और शैक्षिक संस्थान चाहे जितना मर्ज़ी गोपनीयता-सख्ताई बरतले तेज़ाब के बढ़ते चलन क़ो सिर्फ और सिर्फ जागरूकता से ही कम (खत्म) किया जा सकता हैं।
.
धन्यवाद।
.
FROM =
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
पढ़ा नहीं जा रहा भैया , ज़रा रंग बदलो ।
ReplyDeleteआपकी चिंता जायज़ है ।
ReplyDeleteइस तरह का काम आम तौर पर कम पढ़े लिखे लड़के ही करते हैं । और हाँ , मुस्लिम लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है । बेशक , एक अमानवीय कुकृत्य है ये । और ऐसा करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ।
सोनी बेटा , आप शायद दूसरे ब्लॉग कम पढ़ते हैं । यदि समय मिले तो अवश्य पढो , टिप्पणी करो , लोगों से दोस्ती करो । तब दूसरे भी आपके ब्लॉग पर आयेंगे । आपके विचार बहुत अच्छे हैं । बस शेयर करने की ज़रुरत है ।
पोस्ट लिखी जाये और उसको बहुत से लोग पढ़ें तो संतुष्टि होती है ।
लेकिन यदि समय नहीं हो तो ब्लोगिंग से दूर रहना चाहिए ।
एक बहुत अच्छी पोस्ट इस विषय पर चिंता सही है और सही दिशा में कदम उठाने और जागरूकता की जरुरत है
ReplyDeleteचिंता जायज़ है.
ReplyDeleteसौ फीसदी सहमत.
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish
तेज़ाब क़ा नाजायज़-आपराधिक इस्तेमाल लडको द्वारा लड़कियों पर किया जाता रहा हैं, लेकिन इन दिनों लड़कियों द्वारा भी लडको पर तेज़ाब के इस्तेमाल की खबरे यदा-कदा आ ही जाती हैं
ReplyDeleteचिंता जायज़ है.
मैं सौ ....फीसदी सहमत
LOGO NE TEJAAB KO KHEL BNA LIYA HAI AAJKAL...
ReplyDeleteतेजाब से यदि हम
ReplyDeleteअपने मन के मैल,
अपनी कुप्रवृत्तियां
ईर्ष्या, द्वेष, जलन
को सकें जला
तो सबका होगा भला
मन बदले तो सब बदलें
सब बदलें तो जग बदले
पर पहले बदलना होगा
बदले की भावना को
किसी से न इसका सामना हो।
nice article... sach mein chinta ka vishya hai..
ReplyDeleteआपकी चिंता बिलकुल जायज है....किस मानसिकता के लोग होते हैं वे...जो ऐसा अमानवीय कृत्य कर जाते हैं...
ReplyDeleteसच मन बहुत क्षुब्ध हो जाता है
bohat achha article likha hai aapne...
ReplyDeleteMere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
http://asilentsilence.blogspot.com/
http://bannedarea.blogspot.com/